नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने दिल्ली सरकार, नगर निगम और अन्य एजेंसियों को नोटिस जारी किया है, जिसमें कबूतरों को दाना खिलाने से पैदा हो रहे पर्यावरण और स्वास्थ्य संबंधी खतरों पर जवाब मांगा गया है। याचिका में कहा गया है कि कबूतरों को दाना खिलाने और उनकी संख्या बढ़ने से फुटपाथ, सड़कों और ट्रैफिक आइलैंड्स पर कबूतरों की बीट जमा हो जाती है। जब इन जगहों की सफाई की जाती है, तो सूखी बीट के जहरीले कण धूल में मिलकर वातावरण को प्रदूषित करते हैं और इससे गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं, खासकर फेफड़ों की बीमारियां होती हैं।
याचिका में यह भी कहा गया कि कबूतरों की बीट से “हाइपरसेंसिटिविटी न्यूमोनाइटिस” जैसी गंभीर फेफड़ों की बीमारी हो सकती है, जिससे फेफड़ों में जख्म और सांस लेने में दिक्कत होती है। विशेषज्ञों के मुताबिक, कबूतरों की बीट में सल्मोनेला, ई.कोलाई, फंगल स्पोर्स और अन्य हानिकारक बैक्टीरिया होते हैं, जो सांस की बीमारियों, एलर्जी और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकते हैं, खासकर बच्चों, बुजुर्गों और पहले से बीमार लोगों के लिए।
ट्रिब्यूनल ने माना कि यह मामला पर्यावरणीय मानदंडों के अनुपालन से जुड़ा है और सभी उत्तरदाताओं को अगली सुनवाई (8 अक्टूबर) से एक हफ्ते पहले हलफनामा दाखिल करने को कहा है।
नगर निगम दिल्ली में कबूतरों को दाना डालने के स्थलों पर रोक लगाने का प्रस्ताव भी तैयार कर रहा है, ताकि इस स्वास्थ्य खतरे को कम किया जा सके