चंडीगढ़ – केंद्र सरकार की नई राष्ट्रीय कृषि नीति के विरोध में पंजाब के किसानों का चंडीगढ़ कूच लगातार सुर्खियों में बना हुआ है। 5 मार्च 2025 को किसान संगठनों ने इस विरोध प्रदर्शन की शुरुआत की, लेकिन इससे पहले पंजाब पुलिस ने कई किसान नेताओं के घरों पर छापेमारी कर उन्हें हिरासत में ले लिया। इससे किसानों में आक्रोश और बढ़ गया है।
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प्रदर्शन से पहले पुलिस की छापेमारी और गिरफ्तारी
NDTV की रिपोर्ट के अनुसार, चंडीगढ़ मार्च से पहले पंजाब पुलिस ने कई किसान नेताओं को हिरासत में ले लिया। किसान संगठनों का दावा है कि यह कार्रवाई सरकार की तरफ से प्रदर्शन को कमजोर करने का प्रयास है। हालाँकि, पंजाब पुलिस ने इसे कानून-व्यवस्था बनाए रखने की रणनीति बताया है।
संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) और अन्य किसान संगठनों ने पंजाब सरकार और केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि इस तरह की छापेमारी लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन है। किसान नेताओं ने सरकार को चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो प्रदर्शन और उग्र हो सकता है।
मुख्यमंत्री भगवंत मान का बयान और किसानों की प्रतिक्रिया
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने किसान संगठनों पर आरोप लगाया कि वे पंजाब को “धरनों का राज्य” बना रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि लगातार हो रहे प्रदर्शनों के कारण राज्य की सामान्य व्यवस्था प्रभावित हो रही है।
इसके जवाब में संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने मुख्यमंत्री के बयान को खारिज करते हुए कहा कि किसानों ने किसी भी सड़क या रेल यातायात को बाधित नहीं किया। SKM के प्रवक्ता ने कहा कि चंडीगढ़ और राज्य भर में यातायात बाधित होने के पीछे मुख्य कारण पंजाब पुलिस और प्रशासन द्वारा लगाए गए अनुचित प्रतिबंध हैं।
इस बीच, किसान मजदूर मोर्चा ने मुख्यमंत्री के बयान और पुलिस की कार्रवाई के विरोध में अमृतसर में मुख्यमंत्री भगवंत मान के पुतले जलाए। किसान नेताओं ने साफ कहा कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, वे अपना आंदोलन जारी रखेंगे।
किसानों की प्रमुख मांगें
1. नई राष्ट्रीय कृषि नीति का विरोध – किसान चाहते हैं कि केंद्र सरकार इस नीति को वापस ले, क्योंकि उन्हें डर है कि यह नीति उनके हितों के खिलाफ होगी।
2. न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी – किसानों की प्रमुख मांग यह है कि केंद्र सरकार MSP को कानूनी रूप से अनिवार्य बनाए।
3. भूमि अधिग्रहण का विरोध – किसान भारतमाला परियोजना और अन्य योजनाओं के तहत की जा रही भूमि अधिग्रहण नीति का विरोध कर रहे हैं।
सरकार और किसानों के बीच वार्ता जारी
22 फरवरी 2025 को चंडीगढ़ में किसानों और केंद्र सरकार के बीच एक बैठक हुई थी, जिसमें केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रह्लाद जोशी और पीयूष गोयल ने किसानों के प्रतिनिधियों से मुलाकात की थी। यह बैठक लगभग तीन घंटे तक चली, लेकिन कोई ठोस नतीजा नहीं निकला। अगली बैठक 19 मार्च को प्रस्तावित है।
प्रदर्शन के प्रभाव और आगे की योजना
किसानों का यह विरोध प्रदर्शन केवल पंजाब तक सीमित नहीं है, बल्कि देश के अन्य राज्यों के किसान भी इसमें शामिल हो सकते हैं। संयुक्त किसान मोर्चा ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो वे चंडीगढ़ में लंबा धरना देंगे। सरकार ने स्थिति पर नजर रखने के लिए सुरक्षा बलों की तैनाती बढ़ा दी है। स्थिति लगातार बदल रही है, और किसान संगठनों के अनुसार, वे तब तक संघर्ष जारी रखेंगे जब तक सरकार उनकी मांगों को मान नहीं लेती।
– कार्तिक