बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार को भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) की पूर्व अध्यक्ष माधबी पुरी बुच और पांच अन्य अधिकारियों के खिलाफ महाराष्ट्र भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) द्वारा की जा रही कार्रवाई पर अस्थायी रोक लगा दी। अदालत ने निर्देश दिया कि 4 मार्च 2025 तक उनके खिलाफ कोई कठोर कदम न उठाया जाए।
आर्टिकल में –
यह मामला 1994 में एक कंपनी की लिस्टिंग से जुड़ा हुआ है, जिसमें कथित तौर पर अनियमितताओं के आरोप लगाए गए हैं। विशेष अदालत ने 1 मार्च को ACB को माधबी पुरी बुच और अन्य अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया था, जिसके बाद बुच और अन्य ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर इस आदेश को चुनौती दी।
मामले की पृष्ठभूमि
सेबी, जो भारत में पूंजी बाजार का नियामक है, पर समय-समय पर कई आरोप लगते रहे हैं। हालांकि, इस मामले में आरोप यह हैं कि 1994 में एक कंपनी की स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टिंग प्रक्रिया में कुछ अनियमितताएँ हुई थीं, और सेबी अधिकारियों ने उस दौरान अपनी शक्तियों का दुरुपयोग किया था।
याचिका में दावा किया गया है कि यह मामला दशकों पुराना है और किसी भी नियामक या कानून प्रवर्तन एजेंसी ने इतने वर्षों तक इसे गंभीरता से नहीं लिया। ऐसे में, अब अचानक इस पर कार्रवाई करना दुर्भावनापूर्ण लगता है।
बॉम्बे हाईकोर्ट में सुनवाई और याचिकाकर्ताओं की दलीलें
बॉम्बे हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान, माधबी पुरी बुच और अन्य अधिकारियों के वकील ने अदालत को बताया कि:
- मामला पूरी तरह से निराधार है और केवल एक दुर्भावनापूर्ण शिकायत के आधार पर दर्ज किया गया है।
- सेबी एक स्वायत्त संस्था है और उसके द्वारा लिए गए फैसले कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करते हैं।
- इस मामले में कानून का कोई उल्लंघन नहीं हुआ है, और विशेष अदालत का आदेश कानूनी रूप से त्रुटिपूर्ण है।
वकीलों ने बॉम्बे हाईकोर्ट से अनुरोध किया कि इस मामले में ACB द्वारा किसी भी तरह की दंडात्मक कार्रवाई पर तुरंत रोक लगाई जाए।
राज्य सरकार और ACB का पक्ष
महाराष्ट्र सरकार और ACB के वकीलों ने अदालत में तर्क दिया कि:
- शिकायतकर्ता ने गंभीर आरोप लगाए हैं, जिन्हें नकारा नहीं जा सकता।
- ACB इस मामले में स्वतंत्र जांच कर रही है, और उसे अपनी जांच पूरी करने का अवसर दिया जाना चाहिए।
- यदि सेबी के अधिकारियों ने कोई अनियमितता नहीं की, तो जांच से उन्हें कोई नुकसान नहीं होगा।
हालांकि, अदालत ने फिलहाल बुच और अन्य अधिकारियों को राहत देते हुए ACB को उनके खिलाफ कोई कार्रवाई करने से रोक दिया है।
सेबी और बाजार विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया
इस मामले में सेबी और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) ने कहा कि:
- सेबी की सभी नीतियां और प्रक्रियाएँ पारदर्शी हैं।
- इस तरह के पुराने मामलों को फिर से खोलने से बाज़ार की स्थिरता पर असर पड़ सकता है।
- नियामक संस्थानों को स्वतंत्र रूप से कार्य करने दिया जाना चाहिए।
पुराने आरोप और सरकार की प्रतिक्रिया
यह पहली बार नहीं है जब माधबी पुरी बुच पर आरोप लगे हैं। अक्टूबर 2024 में भी उनके खिलाफ हितों के टकराव और वित्तीय अनियमितताओं के आरोप लगे थे। हालांकि, सरकार ने इन आरोपों को बेबुनियाद बताया था।
आगे की राह
बॉम्बे हाईकोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 4 मार्च 2025 को तय की है। इस दौरान अदालत यह तय करेगी कि विशेष अदालत के आदेश को रद्द किया जाए या नहीं। तब तक के लिए माधबी पुरी बुच और अन्य अधिकारियों को अंतरिम राहत दी गई है।
– कार्तिक