रेल मंत्रालय का X (पूर्व ट्विटर) को 36 घंटे में वीडियो हटाने का आदेश, नैतिक कारणों का हवाला

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रेल मंत्रालय ने 15 फरवरी को नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुए भगदड़ के वीडियो को लेकर X (पूर्व ट्विटर) से 285 सोशल मीडिया लिंक हटाने को कहा है। इस आदेश में मंत्रालय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को 36 घंटे का समय दिया है। यह मंत्रालय का दिसंबर में सीधे कंटेंट हटाने की शक्तियां प्राप्त करने के बाद पहला बड़ा कदम है।

रेल मंत्रालय की नोटिस

मंत्रालय ने 17 फरवरी को एक नोटिस जारी करते हुए वीडियो को हटाने का निर्देश दिया। नोटिस में कहा गया कि इन वीडियो को साझा करने से सार्वजनिक अशांति हो सकती है और रेलवे संचालन में व्यवधान उत्पन्न हो सकता है, खासकर वर्तमान में जब भारी ट्रेन यातायात हो रहा है।

रेलवे मंत्रालय ने इस निर्देश में विशेष रूप से नैतिक चिंताओं का हवाला देते हुए कहा कि इन वीडियो में मृतकों को दिखाया गया है, जो “संवेदनशील और परेशान करने वाली सामग्री” है। मंत्रालय का कहना था कि इन वीडियो के सार्वजनिक रूप से प्रसार से प्रभावित परिवारों की भावना को आहत किया जा सकता है। यह कदम कई प्रमुख समाचार संगठनों और सोशल मीडिया अकाउंट्स को भी प्रभावित कर रहा है। मंत्रालय ने यह चेतावनी भी दी कि इस तरह के वीडियो साझा करने से एक सामाजिक अशांति पैदा हो सकती है और सार्वजनिक व्यवस्था को खतरा हो सकता है।

नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़: दिल्ली हाई कोर्ट ने सुनवाई की

इस बीच, दिल्ली हाई कोर्ट ने 20 फरवरी को रेलवे से यात्री संख्या सीमा और प्लेटफार्म टिकट बिक्री से संबंधित मुद्दों की समीक्षा करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने यह टिप्पणी हाल ही में नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुई भगदड़ के संबंध में जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान की।

मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की अगुवाई वाली पीठ ने चिंता व्यक्त की कि भीड़ प्रबंधन नियमों को ठीक से लागू नहीं किया गया था। न्यायालय ने यह सवाल उठाया कि क्यों अक्सर टिकटों की संख्या ट्रेन के कोचों की क्षमता से अधिक बेची जाती है। यह सवाल उस समय और भी महत्वपूर्ण हो गया जब एक बड़ी संख्या में लोग बिना पर्याप्त जगह के प्लेटफार्म पर इकट्ठा हो गए, जिससे भगदड़ की घटना घटी।

कोर्ट ने रेलवे बोर्ड को आदेश दिया कि वह इस मुद्दे की समीक्षा करे और जो कदम उठाने की योजना है, उसके बारे में हलफनामा दाखिल करे। अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि रेलवे बोर्ड प्लेटफॉर्म पर अतिरिक्त सुरक्षा इंतजामों का निर्धारण करें ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।

नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़ की घटना

नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुई भगदड़ में कम से कम 18 लोगों की जान चली गई। यह घटना तब हुई जब बड़ी संख्या में लोग प्लेटफार्म 14 और 15 पर इकट्ठा हो गए थे ताकि वे प्रयागराज की ओर जाने वाली ट्रेनों में चढ़ सकें, जहां इस समय महा कुंभ मेला आयोजित किया जा रहा है। बड़ी संख्या में यात्री महाकुंभ में शामिल होने के लिए प्रयागराज जा रहे थे, लेकिन स्टेशन पर सुरक्षा और भीड़ प्रबंधन के इंतजाम न होने के कारण यह हादसा हुआ।

इस घटना ने रेलवे सुरक्षा और भीड़ प्रबंधन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं, और अदालत ने इसे संबोधित करने के लिए रेलवे बोर्ड से कार्रवाई की मांग की है। हादसे के बाद, यात्रियों और आम जनता ने रेलवे की लापरवाही पर सवाल उठाए हैं, खासकर ऐसे समय में जब प्लेटफार्मों पर अत्यधिक भीड़ होती है। यह घटना रेलवे प्रशासन के लिए एक कड़ी चुनौती है, क्योंकि इसे समय रहते ठीक करना आवश्यक है ताकि भविष्य में इस तरह के हादसों को टाला जा सके।

भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा की जरूरत

नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुए इस हादसे के बाद, सरकार और रेलवे बोर्ड से यह अपेक्षाएं जताई जा रही हैं कि वे भीड़ प्रबंधन के मानकों को सख्ती से लागू करें। न्यायालय भी इस मामले में ठोस कार्रवाई की मांग कर रहा है। रेलवे स्टेशन पर यात्रियों की संख्या को नियंत्रित करने के लिए टिकटों की बिक्री की सीमा तय करने की आवश्यकता है, ताकि अधिक संख्या में यात्री इकट्ठा न हो सकें। साथ ही, प्लेटफार्मों पर सुरक्षा बलों की तैनाती बढ़ाने और यात्री सुरक्षा के लिए अन्य उपायों को लागू करने की जरूरत महसूस हो रही है।

कई यात्री संगठनों और नागरिक समाज समूहों ने भी इस घटना के बाद रेलवे की जिम्मेदारी पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने मांग की है कि रेलवे अपनी सुरक्षा प्रणालियों को सुधारने के साथ-साथ बेहतर भीड़ नियंत्रण उपायों को लागू करें, ताकि भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं को रोका जा सके।

भविष्य के लिए महत्वपूर्ण कदम

नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुई भगदड़ की घटना ने न केवल रेलवे की सुरक्षा व्यवस्था को चुनौती दी है, बल्कि यह इस बात का भी संकेत है कि रेलवे को अपनी कार्यप्रणाली में सुधार की आवश्यकता है। इस दुर्घटना ने रेलवे प्रशासन और उच्च न्यायालय को एक नया दृष्टिकोण अपनाने की प्रेरणा दी है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके और यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। अदालत की कार्रवाई और रेलवे द्वारा उठाए गए कदमों का असर भारतीय रेलवे की सुरक्षा नीतियों पर पड़ेगा, और इस मुद्दे पर सरकारी स्तर पर सुधार हो सकते हैं।

कार्तिक

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