अमेरिका से भारतीयों की वापसी की उड़ानों के अमृतसर में उतरने पर पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान द्वारा की गई आपत्ति के बाद सरकार ने बुधवार को इस फैसले का बचाव किया है। सरकारी सूत्रों के अनुसार, पंजाब में सबसे ज्यादा संख्या में भारतीय अमेरिकी से अवैध रूप से लौटे हैं, और इसलिए इन उड़ानों का अमृतसर में उतरना उचित है।
विपक्ष ने अमेरिका से लौटाए गए भारतीयों के साथ दुर्व्यवहार का विरोध करते हुए, यह आरोप लगाया कि उन्हें जंजीरों में बांधकर भेजा गया और उनके साथ अपमानजनक व्यवहार किया गया। इस मुद्दे पर सरकार ने विदेश मंत्री एस. जयशंकर के माध्यम से संसद में स्पष्ट किया कि भारत सरकार अमेरिका के साथ इस मामले में बातचीत कर रही है, ताकि डिपोर्ट किए गए भारतीयों के साथ किसी भी प्रकार का दुर्व्यवहार न हो।
भगवंत मान ने अमृतसर को “डिपोर्ट सेंटर” बनाने पर जताई आपत्ति
5 फरवरी को पहली उड़ान के उतरने के बाद, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने केंद्र सरकार पर पंजाब को बदनाम करने का आरोप लगाया और कहा कि अमृतसर जैसी पवित्र नगरी को डिपोर्ट सेंटर नहीं बनना चाहिए। उन्होंने कहा कि अमेरिका से भारत भेजे गए इन डिपोर्टी का अमृतसर में लैंडिंग करना पंजाब की छवि को नुकसान पहुंचाता है। इसके साथ ही उन्होंने चेतावनी दी कि यदि आने वाली किसी अमेरिकी उड़ान में डिपोर्टी भारत आ रहे हैं, तो इसे राज्य में न उतरने दिया जाएगा।
एस. जयशंकर ने संसद में दी सफाई
विपक्ष के विरोध के बाद, विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने 6 फरवरी को संसद में कहा कि भारत सरकार अमेरिकी अधिकारियों से बातचीत कर रही है ताकि डिपोर्ट किए गए भारतीयों के साथ किसी भी प्रकार का दुर्व्यवहार न हो। उन्होंने यह भी कहा कि यह प्रक्रिया नई नहीं है और अमेरिका द्वारा डिपोर्टेशन के लिए जो मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) है, उसके तहत डिपोर्टी को यात्रा के दौरान हथकड़ी और अन्य उपायों से बांधना सामान्य है। हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि महिलाओं और बच्चों को इस प्रक्रिया के दौरान कोई बंधन नहीं लगाया जाता।
अमेरिकी कानून के तहत डिपोर्टी को जंजीरों में बांधने की प्रक्रिया
सरकारी सूत्रों ने बताया कि अमेरिका के इमीग्रेशन एंड कस्टम्स एन्फोर्समेंट (ICE) एजेंसी के नियमों के तहत, डिपोर्टी को विमान में यात्रा के दौरान हाथ, कमर और टांगों में हथकड़ी लगाई जाती है, हालांकि महिलाओं और बच्चों को बंधन में नहीं डाला जाता। अमेरिका के इन मानकों का पालन करते हुए, जब भी भारतीय नागरिक अवैध रूप से अमेरिका में पकड़े जाते हैं, उन्हें इन जंजीरों में बांधकर स्वदेश भेजा जाता है।
अमृतसर में लैंडिंग की नियमितता और इसके पीछे की वजह
सरकार ने बताया कि 5 फरवरी से अब तक तीन उड़ानें भारत आई हैं, जिनमें से 333 डिपोर्टी (वापस भेजे गए लोग) भारत पहुंचे। इनमें से 126 लोग पंजाब के, 110 हरियाणा के और 74 गुजरात के हैं। इसके अतिरिक्त उत्तर प्रदेश से आठ, महाराष्ट्र से पांच, हिमाचल प्रदेश, चंडीगढ़, राजस्थान, गोवा, जम्मू-कश्मीर और उत्तराखंड से कुछ लोग शामिल थे। सरकारी सूत्रों के अनुसार, अमृतसर में इन उड़ानों का उतरना इसलिए जरूरी है क्योंकि पंजाब राज्य से सबसे अधिक अवैध प्रवासी अमेरिका गए थे, और वहां से लौटने वालों की संख्या भी सबसे ज्यादा है।
अमृतसर को डिपोर्टेशन के लिए हब बनाने पर विवाद
हालांकि विपक्ष और राज्य सरकार ने इन उड़ानों के अमृतसर में उतरने पर आपत्ति जताई है, लेकिन सरकार ने तर्क दिया कि यह एक तार्किक निर्णय है। पंजाब में अवैध प्रवासियों की बड़ी संख्या को देखते हुए, अमृतसर को इन उड़ानों के लिए हब बनाना स्वाभाविक था। इसके बावजूद, राजनीतिक दल इस मुद्दे को लेकर विभिन्न दृष्टिकोण पेश कर रहे हैं, जो आने वाले समय में और भी तूल पकड़ सकता है।
राजनीतिक और सामाजिक संदर्भ में बढ़ता विवाद
यह मामला केवल प्रवासियों के बारे में नहीं है, बल्कि यह पंजाब और केंद्र सरकार के बीच राजनीतिक संवाद की स्थिति को भी दर्शाता है। मुख्यमंत्री भगवंत मान के बयान से यह स्पष्ट है कि पंजाब सरकार केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ है, और यह मुद्दा राज्य और केंद्र के बीच तनाव को बढ़ा सकता है।
कार्तिक