भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 2025 की फरवरी माह में अपनी मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक में रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट्स की कटौती करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया है। अब रेपो रेट 6.25% हो गया है, जबकि इससे पहले यह 6.5% था। यह RBI द्वारा पिछले पांच वर्षों में की गई पहली दर में कटौती है, और आखिरी बार मई 2020 में रेपो रेट में कटौती की गई थी। यह निर्णय तब लिया गया है जब केंद्र सरकार ने भी व्यक्तिगत आयकर में कटौती की घोषणा की है, ताकि उपभोग को बढ़ावा मिल सके।
आर्टिकल में –
आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहन देने के लिए कदम
RBI ने रेपो रेट में इस कटौती को आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से लिया है। जब RBI अपने उधारी दर (रेपो रेट) को घटाता है, तो बैंकों को सस्ती दरों पर ऋण मिलता है, जिससे वे उपभोक्ताओं और व्यवसायों को सस्ती दरों पर कर्ज देते हैं। इससे व्यय और निवेश को बढ़ावा मिलता है। RBI के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि यह कदम अर्थव्यवस्था में सुधार लाने के लिए आवश्यक था और इसके परिणामस्वरूप उपभोक्ता खर्च और निवेश में वृद्धि होनी चाहिए।
मांग और आपूर्ति के हिसाब से नीति में लचीलापन
RBI ने अपनी मौद्रिक नीति में “न्यूट्रल” रुख को बनाए रखने का निर्णय लिया है, जो किसी भी बदलाव के लिए लचीलापन प्रदान करता है। गवर्नर मल्होत्रा ने बताया कि यह ढांचा पिछले वर्षों में भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए बहुत प्रभावी साबित हुआ है, विशेषकर महामारी के बाद। उन्होंने यह भी कहा कि इस नीति के अंतर्गत उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) अधिकांशतः लक्ष्य सीमा के भीतर ही रहा है, सिवाय कुछ मामलों के।
GDP वृद्धि का अनुमान 6.7%
RBI ने 2025-26 के लिए GDP वृद्धि का अनुमान 6.7% रखा है। केंद्रीय बैंक का कहना है कि सरकार के फिस्कल कंसोलिडेशन, मजबूत बाहरी खाता और स्थिर निजी खपत के कारण आगामी वर्ष में आर्थिक वृद्धि में सुधार होगा। सरकार की आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, अगले वित्तीय वर्ष के लिए GDP वृद्धि 6.3-6.8% के बीच हो सकती है।
महंगाई पर RBI का दृष्टिकोण
RBI ने 2025-26 के लिए खुदरा महंगाई (CPI) का अनुमान 4.2% के स्तर पर रखा है। उन्होंने 2024-25 के लिए CPI का अनुमान 4.8% रखा है। RBI ने कहा कि अगर सामान्य मानसून होता है, तो अगले साल महंगाई में कमी आने की संभावना है, और यह लक्ष्य के अनुरूप जाएगी।
EMI पर असर और ऋण की दरें
जब RBI रेपो रेट घटाता है, तो बैंक अपने उधारी दरों को भी घटाते हैं, जो सीधे तौर पर ग्राहकों के EMI (इक्वेटेड मंथली इंस्टॉलमेंट्स) को कम करता है। इसके अलावा, वह बैंकों से आने वाले ऋणों की दरों पर भी असर डालता है, खासकर जब वे MCLR (मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स बेस्ड लेंडिंग रेट) से जुड़े होते हैं।
वैश्विक आर्थिक परिस्थितियों पर टिप्पणी
RBI गवर्नर ने वैश्विक आर्थिक माहौल को लेकर भी अपनी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि वैश्विक आर्थिक वृद्धि ऐतिहासिक औसत से नीचे है और वैश्विक व्यापार में विस्तार जारी है, हालांकि सेवा क्षेत्र की कीमतों में वृद्धि से वैश्विक मुद्रास्फीति पर दबाव बना हुआ है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि विभिन्न विकसित देशों की मौद्रिक नीतियों और वैश्विक व्यापारिक अनिश्चितताओं के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था को भी जोखिमों का सामना करना पड़ रहा है।
RBI की भविष्यवाणी और उपाय
RBI ने इस समय की अनिश्चित वैश्विक परिस्थितियों के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूती से खड़ा रहने की बात की। हालांकि, उन्होंने वैश्विक वित्तीय बाजारों में अत्यधिक अस्थिरता और वैश्विक व्यापार नीति में अनिश्चितता के कारण उत्पन्न होने वाले जोखिमों की भी चेतावनी दी।
RBI की यह निर्णय भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक सकारात्मक कदम माना जा रहा है, क्योंकि यह ऋण सस्ता करने और उपभोक्ता खर्च को बढ़ावा देने का अवसर प्रदान करता है। यह भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से एक लचीला और सोच-समझकर लिया गया निर्णय है, जो आर्थिक वृद्धि को प्रोत्साहित करने के साथ-साथ मुद्रास्फीति को नियंत्रित रखने में मदद करेगा।
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