महाकुंभ के तीसरे ‘अमृत स्नान’ का आयोजन आज बसंत पंचमी के शुभ अवसर पर किया गया, जिसमें देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु पवित्र संगम में डुबकी लगाने के लिए एकत्र हुए। इस अवसर पर विशेष रूप से साधु-संतों और अखाड़ों के नागाओं ने गंगा, यमुन और सरस्वती के संगम स्थल की ओर अपनी यात्रा शुरू की।
अमृत स्नान का महत्व और उत्साह
सुबह चार बजे तक, 16.58 लाख श्रद्धालु ने पवित्र डुबकी लगाई, जिससे कुल डुबकी लगाने वाले श्रद्धालुओं की संख्या 13 जनवरी से लेकर अब तक 34.97 करोड़ पहुंच गई। इनमें 10 लाख कल्पवासियों और 6.58 लाख तीर्थयात्रियों का आंकड़ा शामिल है, जानकारी निदेशक शिशिर ने बताया।
पिछले ‘अमृत स्नान’ में हादसा
इस साल के ‘अमृत स्नान’ की विशेष अहमियत इसलिए है क्योंकि पिछली ‘अमृत स्नान’ (मौनी अमावस्या) के दौरान भगदड़ मचने से 30 लोगों की मौत हो गई थी और 60 अन्य घायल हो गए थे। इस हादसे के बाद से सुरक्षा व्यवस्था को लेकर खास ध्यान दिया गया है, ताकि कोई अप्रिय घटना न हो।
उतर प्रदेश सरकार का पांच करोड़ श्रद्धालुओं का अनुमान
अब तक, 33 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने महाकुंभ में डुबकी लगाई है। उत्तर प्रदेश सरकार का अनुमान है कि सोमवार के दिन लगभग 5 करोड़ श्रद्धालु संगम में स्नान के लिए आएंगे।
अखाड़ों की विशेष प्रक्रिया
महाकुंभ के दौरान अखाड़ों का स्नान एक निर्धारित क्रम में होता है। तीन प्रमुख सम्प्रदायों—सन्यासी, बैरागी और उदासी—के अखाड़े पहले से तय क्रम में डुबकी लगाते हैं। पहले स्नान के लिए सन्यासी अखाड़ों का समूह सबसे पहले संगम में डुबकी लगाता है, और इसके बाद बैरागी तथा उदासी अखाड़े आते हैं।
पहले स्नान में शामिल हुए प्रमुख अखाड़े
आधिकारिक कार्यक्रम के अनुसार, ‘अमृत स्नान’ (पूर्व में ‘शाही स्नान’ के नाम से प्रसिद्ध) सुबह चार बजे शुरू हुआ, जिसमें सन्यासी सम्प्रदाय के प्रमुख अखाड़ों ने भाग लिया। इन अखाड़ों में श्री पंचायती अखाड़ा महनिर्वाणी, श्री शंभु पंचायती अतल अखाड़ा, श्री तपोनीधि पंचायती श्री निरंजनी अखाड़ा, और अन्य प्रमुख अखाड़े शामिल थे।
सपष्ट खगोलीय संयोग और पवित्रता
महाकुंभ हर 12 साल में एक बार आयोजित होता है, और इस वर्ष विशेष खगोलीय संयोग ‘त्रिवेणी योग’ ने इसे और भी शुभ बना दिया है। यह दुर्लभ खगोलीय संयोग 144 वर्षों में केवल एक बार होता है, और इसे लेकर ज्योतिषी मानते हैं कि इस बार का कुंभ विशेष रूप से आभायुक्त और पवित्र है।
‘अमृत स्नान’ के समय का महत्व
अमृत स्नान की तिथियां ग्रहों की विशेष स्थिति पर निर्भर करती हैं। सूर्य, चंद्रमा और बृहस्पति के एक खास खगोलीय संयोग के कारण यह समय विशेष रूप से पवित्र और आशीर्वादपूर्ण माना जाता है, जिससे नदियों के पानी में आध्यात्मिक शक्ति बढ़ जाती है।
बैरागी अखाड़े और उनका स्नान
सुबह 8.25 बजे से बैरागी सम्प्रदाय के अखाड़ों का स्नान शुरू हुआ। इन अखाड़ों में अखिल भारतीय श्री पंच निरवाणी अनी अखाड़ा, अखिल भारतीय श्री पंच दीगंबर अनी अखाड़ा और अखिल भारतीय श्री पंच निर्मोही अनी अखाड़ा प्रमुख हैं। इनका स्नान 12.35 बजे तक पूरा हो जाएगा।
उदासी सम्प्रदाय के स्नान का समय
अंत में, उदासी सम्प्रदाय के अखाड़ों का स्नान होगा। इनमें श्री पंचायती नाया उदासी अखाड़ा, श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासी निर्वाण, और श्री पंचायती निर्मल अखाड़ा शामिल हैं। इन अखाड़ों का स्नान 11 बजे से शुरू होकर 3.55 बजे तक पूरा होगा।
महाकुंभ के इस तीसरे ‘अमृत स्नान’ ने एक बार फिर से श्रद्धालुओं का आध्यात्मिक उत्साह चरम पर पहुंचा दिया है। विशेष रूप से इस साल का कुंभ, खगोलीय संयोगों और लाखों श्रद्धालुओं के साथ, इतिहास में एक यादगार स्थान बना चुका है। यह न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि भारतीय संस्कृति और परंपराओं को जीवित रखने का भी एक बड़ा अवसर है।