
लखनऊ, 5 जून (पीटीआई): बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती ने गुरुवार को कहा कि यदि चुनाव ईवीएम की जगह बैलेट पेपर से कराए जाएं तो उनकी पार्टी के “अच्छे दिन” वापस आ सकते हैं।
यहाँ एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए उन्होंने सभी चुनावों को बैलेट पेपर से कराने की अपनी मांग दोहराई और आरोप लगाया कि ईवीएम से छेड़छाड़ कर बसपा उम्मीदवारों को हराया जा रहा है।
उन्होंने कहा, “सत्ताधारी और विपक्षी दोनों ही जातिवादी विचारधारा वाली पार्टियाँ दलितों और अन्य हाशिए पर पड़ी जातियों से जुड़े कुछ अवसरवादी और स्वार्थी लोगों का पर्दे के पीछे इस्तेमाल कर रही हैं। इन तत्वों के जरिए विभिन्न संगठन और पार्टियाँ बनाई जा रही हैं, जो हमारे समर्थक वर्ग को गुमराह कर रही हैं और खासकर उत्तर प्रदेश में बसपा के गढ़ों में वोटों का बंटवारा कर रही हैं।”
उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि प्रतिद्वंदी पार्टियाँ बसपा की राष्ट्रीय राजनीति में मौजूदगी को सीमित करने के लिए विभिन्न चालें चल रही हैं।
उन्होंने कहा, “ये पार्टियाँ न सिर्फ अवसरवादी संगठनों को बना रही हैं, बल्कि चुनावों में उन्हें वोट भी ट्रांसफर करवा रही हैं ताकि उनके कुछ उम्मीदवार जीत सकें और बसपा को कमजोर किया जा सके।”
मायावती ने यह भी आरोप लगाया कि ईवीएम में हेराफेरी कर बसपा उम्मीदवारों को हराया जा रहा है, जिससे दलितों और वंचित वर्गों का बसपा पर विश्वास तोड़ा जा सके।
उन्होंने कहा कि अब कई विपक्षी दल भी ईवीएम पर सवाल उठा रहे हैं और बसपा समेत अधिकांश विपक्षी पार्टियाँ चाहती हैं कि छोटे-बड़े सभी चुनाव पहले की तरह बैलेट पेपर से कराए जाएं।
“हालांकि वर्तमान सरकार के कार्यकाल में यह संभव नहीं लग रहा, लेकिन सत्ता परिवर्तन के बाद ऐसा संभव हो सकता है,” उन्होंने कहा।
मायावती ने विश्वास जताया कि यदि चुनाव प्रक्रिया दोबारा बैलेट पेपर की ओर लौटेगी, तो बसपा अपनी राजनीतिक जमीन फिर से हासिल करेगी और उसके अच्छे दिन लौट आएंगे।
उन्होंने अपने पार्टी कार्यकर्ताओं को उन “स्वार्थी और अवसरवादी” संगठनों और पार्टियों से सावधान रहने को कहा, जिनका डॉ. भीमराव अंबेडकर, बसपा संस्थापक कांशीराम या व्यापक बहुजन आंदोलन से कोई वास्तविक संबंध नहीं है।
उन्होंने कहा, “इन संगठनों के नेता अगर सांसद, विधायक या मंत्री भी बन जाते हैं तो भी इससे दलितों और वंचितों को कोई वास्तविक फायदा नहीं होगा।”
बसपा प्रमुख ने देश की जीडीपी वृद्धि में बहुजनों की समान भागीदारी की कमी की आलोचना की और मौजूदा गरीबी और बेरोजगारी को चिंता का विषय बताया।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि देश की सीमाएं वर्षों से पूरी तरह सुरक्षित नहीं हैं, जिसके चलते आतंकवादी घटनाएं लगातार हो रही हैं।
पहलगाम आतंकी हमले पर बोलते हुए उन्होंने इसे “बेहद दुखद और चिंताजनक” बताया और ऐसे मामलों का राजनीतिकरण करने की आलोचना की।
उन्होंने कहा, “यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इतने संवेदनशील मुद्दों का भी राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। ऐसा नहीं होना चाहिए।”
PTI ABN ZMN