देहरादून, 3 जून (पीटीआई) – उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर मंगलवार को हरिद्वार में कथित 54 करोड़ रुपये के जमीन घोटाले के मामले में दो आईएएस अधिकारियों समेत आठ अन्य अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है।
निलंबित अधिकारियों में हरिद्वार के जिला मजिस्ट्रेट कर्मेंद्र सिंह, तत्कालीन नगर आयुक्त वरुण चौधरी और उप-जिला मजिस्ट्रेट अजयवीर सिंह शामिल हैं।
मुख्यमंत्री ने इस मामले की विस्तृत जांच के लिए vigilance विभाग को निर्देश दिए हैं और संदिग्ध जमीन सौदे को रद्द करने का आदेश भी दिया है। साथ ही, चौधरी के नगर आयुक्त रहने के दौरान हरिद्वार नगर निगम में किए गए सभी कार्यों का विशेष लेखा-जोखा कराने का भी निर्देश दिया गया है ताकि वित्तीय अनियमितताओं की पूरी जांच हो सके।
धामी ने स्पष्ट कहा, “भ्रष्टाचार किसी भी स्तर पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”
कार्मिक विभाग ने मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार निलंबन आदेश जारी किए हैं। आधिकारिक बयान के अनुसार, जांच में दोषी पाए गए दस अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है, जबकि दो कर्मियों की सेवा विस्तार समाप्त कर दी गई है।
निलंबित अधिकारियों में वरिष्ठ वित्त अधिकारी निकिता बिष्ट, वरिष्ठ निजी सहायक विक्की, रजिस्ट्रार कानूंगो राजेश कुमार और मुख्य प्रशासनिक अधिकारी कमलदास भी शामिल हैं।
यह कार्रवाई आईएएस रणवीर चौहान द्वारा की गई प्रारंभिक जांच के बाद हुई है, जिन्होंने पिछले सप्ताह अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपी थी। रिपोर्ट में हरिद्वार नगर निगम द्वारा ग्राम सराई के पास लगभग 2.3070 हेक्टेयर जमीन की खरीद में नियमों के उल्लंघन और इस जमीन के कृषि भूमि से वाणिज्यिक भूमि में परिवर्तन के कारण कीमत 15 करोड़ से बढ़ाकर 54 करोड़ रुपये कर देने के आरोपों में अधिकारियों के खिलाफ उचित कार्रवाई की सिफारिश की गई थी।
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि यह कड़ी कार्रवाई भ्रष्टाचार के प्रति उनकी सरकार की ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति का प्रमाण है। उन्होंने कहा, “सरकार ने शुरुआत से ही स्पष्ट कर दिया है कि सार्वजनिक सेवा का मतलब पद धारण करना नहीं, बल्कि समाज के प्रति कर्तव्य निभाना है। जवाबदेही जरूरी है। कोई भी व्यक्ति चाहे कितना भी वरिष्ठ क्यों न हो, अगर वह सार्वजनिक हित और नियमों की अवहेलना करता है तो कार्रवाई निश्चित है। हम उत्तराखंड में भ्रष्टाचार मुक्त कार्य संस्कृति विकसित करना चाहते हैं और सभी सार्वजनिक सेवकों को इसके मानकों पर खरा उतरना होगा।”
इस घोटाले से जुड़े अब तक निलंबित अधिकारियों में उप-जिला मजिस्ट्रेट निकिता बिष्ट, वरिष्ठ वित्त अधिकारी विक्की, वरिष्ठ निजी सहायक राजेश कुमार, रजिस्ट्रार कानूंगो, और मुख्य प्रशासनिक अधिकारी कमलदास शामिल हैं।
पहले निलंबित अधिकारियों में रवींद्र कुमार दयाल (असिस्टेंट नगर आयुक्त), आनंद सिंह मिश्रावन (कार्यकारी अभियंता), लक्ष्मी कांत भट्ट (कर और राजस्व अधीक्षक), दिनेश चंद्र कंदपाल (जूनियर अभियंता), और वेदपाल (प्रॉपर्टी क्लर्क) शामिल हैं। PTI ALM RT
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