रणजी ट्रॉफी के सेमीफाइनल में केरल और गुजरात के बीच रोमांचक मुकाबला जारी है, और केरल ने 74 वर्षों के बाद अपनी पहली रणजी ट्रॉफी फाइनल की ओर एक बड़ा कदम बढ़ाया है। अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में चल रहे इस सेमीफाइनल के पांचवें दिन केरल ने गुजरात को केवल 28 रन और तीन विकेट से चित्त किया, और दो रन की पहली पारी में बढ़त के साथ फाइनल में अपनी जगह लगभग पक्की कर ली।
केरल की टीम के कोच अमय खुर्सिया और कप्तान सचिन बेबी की रणनीति के तहत, जलज सक्सेना और आदित्य सरवटे ने शानदार प्रदर्शन किया। दोनों खिलाड़ियों ने अपने अनुभव और निडरता का परिचय देते हुए केरल को एक बड़ी जीत के करीब पहुंचाया। यह जीत केरल के लिए ऐतिहासिक है, क्योंकि इस टीम ने 1951-52 के बाद पहली बार रणजी ट्रॉफी के फाइनल में जगह बनाई है।
गुजरात की चुनौती और केरल की संघर्षपूर्ण बढ़त
गुजरात के बल्लेबाजों ने चौथे दिन शाम को केरल के स्पिन गेंदबाजों का डटकर सामना किया। जयमीत पटेल और सिद्धार्थ देसाई ने बेहतरीन रक्षा और रन के बीच अच्छा सामंजस्य स्थापित किया, लेकिन इस दबाव के बीच उनकी मजबूती आखिरकार टूट गई। दिन के अंत तक गुजरात की टीम ने अपनी स्थिति को मजबूत किया था, लेकिन पांचवे दिन के शुरुआती सत्र में, उन्होंने अपना आत्मविश्वास खो दिया और अंत में केरल ने उनकी निचली ऑर्डर को आउट करके उन्हें केवल 28 रन के भीतर समेट लिया।
केरल को जीत के लिए 457 रन का लक्ष्य मिला था, लेकिन टीम ने अपनी पहली पारी में दो रन की बढ़त हासिल कर ली। इस महत्वपूर्ण बढ़त ने केरल को एक कदम और फाइनल में पहुंचने के करीब कर दिया। इस खेल का सबसे दिलचस्प मोड़ तब आया, जब नंबर 10 बल्लेबाज अरजन नागवस्वाला की स्लॉग-स्वीप ने मैच के नतीजे को तय कर दिया। नागवस्वाला का जोरदार शॉट सीधे सलमान निज़ार के सिर पर जा लगा और गेंद सीधे कप्तान सचिन बेबी के हाथों में आ गई।
केरल की ऐतिहासिक जीत की ओर एक और कदम
यह एक बेहद नाटकीय क्षण था, और इसके साथ ही केरल ने लगभग फाइनल में अपनी जगह पक्की कर ली। हालांकि, यह जीत सिर्फ एक रन से नहीं, बल्कि गुजरात के बल्लेबाजों के लगातार दबाव और केरल के शानदार गेंदबाजी प्रदर्शन से आई। निज़ार और निधान एमडी की तरफ से पुणे में किए गए पिछले सप्ताह के प्रयासों की यादें ताजा हो गईं, जब एक रन ने ही उन्हें अंतिम चरण तक पहुंचाया था।
कप्तान सचिन बेबी का नेतृत्व और कोच अमय खुर्सिया का मार्गदर्शन
केरल की टीम के लिए कप्तान सचिन बेबी का नेतृत्व और कोच अमय खुर्सिया का मार्गदर्शन बेहद अहम साबित हुआ है। सचिन ने अपनी कप्तानी में टीम को प्रेरित किया और दबाव के बावजूद उन्हें सही दिशा दिखाई। उनकी रणनीतियों और खिलाड़ियों के आत्मविश्वास के चलते केरल ने रणजी ट्रॉफी के सेमीफाइनल में गुजरात को हराया और फाइनल में जगह बनाई।
फाइनल की ओर: केरल का सामना विदर्भ से
अब केरल को फाइनल में विदर्भ से मुकाबला करना है। विदर्भ ने भी शानदार प्रदर्शन किया है और फाइनल के लिए अपनी जगह बनाई है। यह मुकाबला बेहद रोमांचक होगा, क्योंकि दोनों ही टीमें अपने पहले रणजी ट्रॉफी खिताब को जीतने के लिए तैयार हैं।
केरल का यह सफर निश्चित रूप से उनके क्रिकेट इतिहास में एक मील का पत्थर साबित होगा, और यह उनकी मेहनत और संघर्ष का परिणाम है। 74 साल बाद रणजी ट्रॉफी के फाइनल में जगह बनाने के बाद, यह टीम अपने फैंस और राज्य के लिए गर्व का कारण बन चुकी है।
रणजी ट्रॉफी सेमीफाइनल में केरल की जीत एक ऐतिहासिक पल है, जिसमें न केवल खिलाड़ियों की कड़ी मेहनत का फल दिखा, बल्कि कप्तान सचिन बेबी और कोच अमय खुर्सिया की रणनीतियों का भी बड़ा योगदान रहा। अब फाइनल में विदर्भ से मुकाबला होने वाला है, और इस मुकाबले को लेकर क्रिकेट प्रेमी खासा उत्साहित हैं। केरल ने साबित कर दिया है कि वह किसी भी चुनौती का सामना कर सकती है और अब वे अपना पहला रणजी ट्रॉफी खिताब जीतने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं।
- कार्तिक