ममता कुलकर्णी, जो 90 के दशक में अपनी बोल्ड और ग्लैमरस भूमिकाओं के लिए मशहूर थीं, ने अब बॉलीवुड से पूरी तरह से अलविदा ले लिया है और एक धार्मिक जीवन अपनाया है। उन्होंने हाल ही में महाकुंभ 2025 के अवसर पर किन्नर अखाड़े के महा मंडलेश्वर के रूप में संन्यास लिया और इस ऐतिहासिक घटना ने उन्हें एक बार फिर मीडिया की सुर्खियों में ला दिया है।
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बॉलीवुड से संन्यास की ओर: ममता की यात्रा
ममता कुलकर्णी का करियर बॉलीवुड में काफी ऊंचाइयों तक पहुंचा था। ‘करण अर्जुन’, ‘दिलवाले’, और ‘कुली नंबर 1’ जैसी हिट फिल्मों में अपने अभिनय से उन्होंने दर्शकों का दिल जीता था। हालांकि, 2000 में उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री छोड़ने का निर्णय लिया और आध्यात्मिकता की ओर अपना कदम बढ़ाया। 2000 में ही ममता ने स्वामी चैतन्य गंगागिरी से दीक्षा ली और आध्यात्मिक यात्रा की शुरुआत की। इस दौरान वह अपनी साधना और तपस्या में लीन हो गईं।
अब, महाकुंभ 2025 के अवसर पर ममता कुलकर्णी ने किन्नर अखाड़े के महा मंडलेश्वर के रूप में संन्यास लिया और एक नया जीवन शुरू किया। इस दौरान उन्हें आचार्य महा मंडलेश्वर स्वामी लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी और अन्य संतों का आशीर्वाद मिला।
महाकुंभ 2025 में ममता का संन्यास समारोह
महाकुंभ, जो भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता का प्रतीक है, 2025 में एक ऐतिहासिक घटना का गवाह बना, जब ममता कुलकर्णी ने संगम के पवित्र जल में स्नान किया और संन्यास लेने के बाद एक नई पहचान बनाई। इस दौरान उनके नाम का आधिकारिक परिवर्तन किया गया, और उन्हें “श्री यमाई ममता नंद गिरी” नाम दिया गया।
यह कदम ममता कुलकर्णी के लिए एक सम्मान था, और उन्होंने इस अवसर पर कहा, “यह मेरे लिए एक बड़ी श्रद्धा की बात है। यह कदम अचानक नहीं लिया गया है। मैंने 2000 में स्वामी चैतन्य गंगागिरी से दीक्षा ली थी, और तब से मेरी तपस्या जारी थी। आज इतने वर्षों बाद, मैंने संन्यास का जीवन अपनाया है।”
किसी फिल्मी कहानी की तरह: ममता कुलकर्णी का आध्यात्मिक बदलाव
ममता कुलकर्णी का जीवन किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है। बॉलीवुड की ग्लैमरस और शोहरत से भरी दुनिया को छोड़कर उन्होंने एक संत के रूप में अपने जीवन की शुरुआत की। इस दौरान वह कई आध्यात्मिक घटनाओं और अनुभवों से गुजरीं। ममता ने अपने संन्यास समारोह में अपने पूर्वजों के लिए पिंड दान किया, जो यह दर्शाता है कि उन्होंने अपने सारे सांसारिक रिश्तों से खुद को मुक्त कर लिया है।
उन्होंने महाकुंभ में आयोजित इस पारंपरिक धार्मिक समारोह में खुद को पूरी तरह से धर्म के प्रचार और संरक्षण के लिए समर्पित किया। ममता ने अपने नए जीवन के लिए संन्यास लिया और संन्यासी जीवन के रास्ते पर चलने का संकल्प लिया।
कानूनी लड़ाई और वापसी
ममता कुलकर्णी की जिंदगी में कई उतार-चढ़ाव आए। 2016 में, उन्हें ₹2,000 करोड़ के ड्रग मामले में आरोपी बनाया गया था और 2017 में उनके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया गया था। हालांकि, अगस्त 2024 में बंबई हाईकोर्ट ने उनके खिलाफ सभी आरोपों को खारिज कर दिया और कहा कि उनके खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य नहीं हैं। इसके बाद ममता कुलकर्णी ने भारत लौटने का निर्णय लिया, और 2024 के दिसंबर में वह वापस भारत आ गईं।
अब वह एक नई दिशा में, अपने पुराने विवादों को पीछे छोड़कर, एक संत की भूमिका में देखी जा रही हैं।
ममता कुलकर्णी का संन्यास लेना सिर्फ एक व्यक्तिगत परिवर्तन नहीं, बल्कि यह उनके जीवन के एक बड़े आध्यात्मिक परिवर्तन का प्रतीक है। उनकी जीवन यात्रा यह बताती है कि कोई भी व्यक्ति अपनी इच्छाओं, संघर्षों और सांसारिक बंधनों को छोड़कर अपने जीवन में एक नया मोड़ ले सकता है। ममता का यह कदम उन लोगों के लिए प्रेरणा है जो धर्म, साधना, और आत्मा की शांति की तलाश में हैं।
महाकुंभ 2025 में उनके संन्यास ने यह साबित कर दिया कि आत्मा की खोज और धार्मिक जीवन के प्रति समर्पण, किसी भी उम्र और परिस्थिति में संभव है।