पटना: बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) की 13 दिसंबर 2024 को हुई परीक्षा को लेकर विवाद और अनियमितताओं के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी है। याचिकाकर्ता ने इस परीक्षा में गड़बड़ी और प्रदर्शनकारियों पर पुलिस कार्रवाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को पटना उच्च न्यायालय का रुख करने की सलाह दी है।
सुप्रीम कोर्ट की पीठ, जिसमें चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन शामिल थे, ने यह फैसला सुनाया। याचिका ‘आनंद लीगल एंड फोरम ट्रस्ट’ द्वारा दायर की गई थी। इस ट्रस्ट का आरोप था कि बिहार पुलिस ने शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर बर्बरता दिखाई। ये प्रदर्शनकारी बीपीएससी परीक्षा रद्द करने की मांग कर रहे थे। याचिकाकर्ता का यह भी कहना था कि पेपर लीक जैसी घटनाएं अब आम हो गई हैं, जो परीक्षा की विश्वसनीयता पर सवाल उठाती हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर विचार करते हुए कहा कि वे याचिका में दखल नहीं देंगे और याचिकाकर्ता को पटना उच्च न्यायालय जाने का सुझाव दिया। चीफ जस्टिस खन्ना ने यह भी कहा कि उच्च न्यायालय में इस मामले की सुनवाई होने से मामला तेजी से सुलझ सकता है, क्योंकि पटना उच्च न्यायालय संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत ऐसे मामलों में सुनवाई कर सकता है।
इस बीच, 13 दिसंबर 2024 को आयोजित बीपीएससी परीक्षा में कथित अनियमितताएं सामने आई थीं। कई अभ्यर्थियों ने इस परीक्षा को रद्द करने की मांग की थी, जिसके बाद राज्यभर में प्रदर्शन हुए। प्रदर्शनकारियों का आरोप था कि परीक्षा में गड़बड़ी हुई है, और पुलिस ने उन पर बर्बर तरीके से लाठीचार्ज किया। एक ओर जहां कुछ अभ्यर्थी न्याय की मांग कर रहे थे, वहीं जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर भी बीपीएससी परीक्षा की फिर से मांग को लेकर गांधी मैदान में अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठ गए थे।
प्रशांत किशोर के अनशन और प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया था, हालांकि बाद में उन्हें जमानत मिल गई थी। बीपीएससी ने 4 जनवरी 2025 को परीक्षा को लेकर पुनः परीक्षा का आयोजन किया, जिसमें 12,012 अभ्यर्थी योग्य थे, जिनमें से 8,111 ने एडमिट कार्ड डाउनलोड किया था। हालांकि, परीक्षा में सिर्फ 5,943 अभ्यर्थी ही सम्मिलित हुए।
बीपीएससी परीक्षा विवाद के चलते राज्य में तनाव बना हुआ है। अब सुप्रीम कोर्ट की ओर से पटना उच्च न्यायालय जाने का आदेश देने के बाद यह मामला उच्च न्यायालय में पहुँचेगा, जहां इसकी सुनवाई होगी। यह देखना दिलचस्प होगा कि उच्च न्यायालय इस मामले में किस तरह का फैसला सुनाता है और क्या बीपीएससी के खिलाफ उठाए गए कदमों को न्यायिक मंशा से समाधान मिलेगा या नहीं।
– कार्तिक
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