तेलंगाना उच्च न्यायालय ने भारत राष्ट्र समिति (BRS) के पूर्व मंत्री के.टी. रामाराव (केटीआर) की उस आपराधिक याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) द्वारा उनके खिलाफ दायर किए गए मामले को रद्द करने की मांग की थी। यह मामला फॉर्मूला ई रेस के आयोजन में वित्तीय अनियमितताओं को लेकर दर्ज किया गया था, जो BRS शासन के दौरान हुआ था।
न्यायमूर्ति के. लक्ष्मण ने मंगलवार, 7 जनवरी 2025 को यह फैसला सुनाया। उन्होंने पहले केटीआर को गिरफ्तारी से सुरक्षा देने का आदेश दिया था, लेकिन अब इस आदेश को बढ़ाने से इंकार कर दिया। न्यायमूर्ति ने आदेश का संचालन भाग एक मिनट से भी कम समय में पढ़ते हुए पूर्व मंत्री को और सुरक्षा देने से मना कर दिया।
तेलंगाना एसीबी की केंद्रीय जांच इकाई ने 19 दिसंबर 2024 को केटीआर के खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज की थी, जिसमें भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 13(1)(a) और 13(2) के तहत आरोप लगाए गए थे, साथ ही भारतीय दंड संहिता की धारा 409 (आपराधिक विश्वासघात) भी जोड़ी गई थी।
एसीबी के अनुसार, 25 अक्टूबर 2022 को, उस समय के BRS सरकार (जिसमें केटीआर नगर प्रशासन और शहरी विकास मंत्री थे) ने फॉर्मूला ई ऑपरेशंस (FEO) लिमिटेड और एसे एनएक्सटी जेन प्राइवेट लिमिटेड (प्रायोजक) के साथ एक त्रैतीयक समझौता किया था, जिसके तहत हैदराबाद में फॉर्मूला ई रेस के 9, 10, 11 और 12 सत्रों का आयोजन किया जाना था। इस समझौते में राज्य सरकार की भूमिका सिर्फ ट्रैक निर्माण और आयोजन के लिए नागरिक सुविधाएं प्रदान करने तक सीमित थी।
2023 के फरवरी में रेस का सत्र 9 आयोजित हुआ। लेकिन कुछ मतभेदों के कारण प्रायोजक ने आयोजन से पीछे हटने का निर्णय लिया। इस स्थिति में, हैदराबाद मेट्रोपोलिटन डेवलपमेंट अथॉरिटी (HMDA) ने प्रायोजक की भूमिका निभाई। हालांकि, HMDA ने अपने सामान्य फंड से लगभग ₹55 करोड़ विदेश भेजे, बिना वित्त मंत्रालय से आवश्यक अनुमोदन और विदेशी हस्तांतरण से संबंधित एजेंसियों से अनुमति प्राप्त किए बिना।
केटीआर ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और अदालत से मामले की कार्यवाही को रोकने तथा आरोपों को रद्द करने का आदेश देने की मांग की। उनका कहना था कि आरोपों के तहत लागू की गई दंडात्मक धाराएं निराधार हैं।
हाई कोर्ट के एकल न्यायाधीश ने 20 दिसंबर 2024 को केटीआर को गिरफ्तारी से सुरक्षा प्रदान करने का आदेश दिया था। इसके बाद एसीबी ने याचिका में काउंटर हलफनामा दायर किया, जबकि केटीआर ने आरोपों को नकारते हुए जवाब दिया। एसीबी के लिए अदालत में पेश हुए एडवोकेट जनरल ए. सुधर्शन रेड्डी ने कहा कि प्राथमिकी कोई विस्तृत दस्तावेज नहीं है और इस मामले की जांच में और अधिक तथ्यों का खुलासा होना बाकी है। वहीं, केटीआर के वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ डेव ने कहा कि आरोपों में भारतीय दंड संहिता और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा के तत्वों का पालन नहीं होता है।
यह मामला अब भी जारी है, और केटीआर को फॉर्मूला ई रेस आयोजन से जुड़े वित्तीय लेन-देन को लेकर कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
– कार्तिक