पराक्रम दिवस 2025: इस वर्ष पराक्रम दिवस 23 जनवरी 2025 को मनाया जाएगा, जो गुरुवार के दिन पड़ रहा है। यह नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 128वीं जयंती होगी। इस दिन को भारत में नेताजी की वीरता और उनके योगदान को सम्मानित करने के लिए समर्पित किया जाता है।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस जयंती, जिसे पराक्रम दिवस या ‘शौर्य का दिवस’ भी कहा जाता है, हर साल भारत में मनाया जाता है। यह दिन भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस को याद करने और उनके अदम्य साहस एवं नेतृत्व को श्रद्धांजलि देने का अवसर है। इस दिन का उद्देश्य देश की जनता को उनके संघर्ष और बलिदान की कहानियों से प्रेरित करना है।
इस महत्वपूर्ण अवसर पर, नेताजी के जीवन, उनके संघर्ष और भारत के स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान को फिर से जानने और समझने का प्रयास किया जाता है।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस जयंती 2025: तिथि और इतिहास
सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को ओडिशा के कटक में हुआ था। नेताजी एक करिश्माई नेता थे, जिन्होंने महात्मा गांधी के नेतृत्व में भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में वर्ष 1921 में भाग लिया। उन्होंने अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति और स्वतंत्रता के लिए जोशपूर्ण दृष्टिकोण के साथ भारत की आजादी के लिए योगदान दिया।
हालांकि सुभाष चंद्र बोस ने गांधी जी के अहिंसा के सिद्धांतों से अलग होकर अपने मार्ग को चुना, लेकिन उनका लक्ष्य स्वतंत्रता संग्राम को गति देना और विदेशी हुकूमत को उखाड़ फेंकना ही था। उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय सेना (INA), जिसे ‘आजाद हिंद फौज’ के नाम से भी जाना जाता है, की स्थापना की। नेताजी ने ‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा’ जैसे जोशीले नारों से भारतीय युवाओं को प्रेरित किया।
पराक्रम दिवस का महत्व
पराक्रम दिवस हमें नेताजी सुभाष चंद्र बोस की महानता, उनकी असाधारण नेतृत्व शैली और उनकी अनोखी देशभक्ति की याद दिलाता है। उनकी दूरदर्शिता और निडरता ने न केवल भारत की स्वतंत्रता के प्रति जनमानस को जागरूक किया, बल्कि इसे सशस्त्र विद्रोह के माध्यम से तेज भी किया।
यह दिन खासतौर पर नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत है। यह हमें याद दिलाता है कि विपरीत परिस्थितियों में भी कैसे दृढ़ निश्चय और एकजुटता के साथ अपने लक्ष्यों को प्राप्त किया जा सकता है।
नेताजी जयंती 2025 के आयोजन और कार्यक्रम
हर साल 23 जनवरी को पूरे भारत में पराक्रम दिवस मनाने के लिए विविध कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। विशेषकर पश्चिम बंगाल, ओडिशा और त्रिपुरा जैसे राज्यों में बड़े पैमाने पर यह दिन मनाया जाता है।
1. स्कूल और कॉलेजों में कार्यक्रम
देशभर के शैक्षणिक संस्थानों में भाषण, निबंध प्रतियोगिता और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। छात्र-छात्राएं नेताजी की कहानियों को प्रस्तुत करते हैं और उनके सिद्धांतों को समझने की कोशिश करते हैं।
2. परेड और श्रद्धांजलि कार्यक्रम
राजधानी दिल्ली में इंडिया गेट और नेताजी से जुड़े प्रमुख स्मारकों पर विशेष श्रद्धांजलि कार्यक्रम होते हैं। परेड का आयोजन भी किया जाता है जिसमें उनके आदर्शों को प्रदर्शित किया जाता है।
3. डिजिटल मंच पर जागरूकता
सरकार और अन्य संगठनों द्वारा ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर नेताजी की जीवनगाथा और उनके योगदान पर चर्चा की जाती है। खासतौर पर युवा वर्ग को उनके आदर्शों से जोड़ने के लिए ये पहल महत्वपूर्ण है।
संदेश और प्रेरणा
पराक्रम दिवस न केवल नेताजी को सम्मानित करने का दिन है, बल्कि उनके आदर्शों पर चलने और उनके देशभक्ति के जज्बे को अपनाने का मौका भी है। 2025 में उनकी जयंती पर, यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम उनके विचारों और उनकी वीरता से प्रेरणा लें।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस जयंती और पराक्रम दिवस हर भारतीय को यह याद दिलाता है कि जब भी राष्ट्र पर संकट आए, हमें अपनी पूरी शक्ति और सामर्थ्य के साथ सामना करना चाहिए। नेताजी का जीवन और उनका बलिदान आने वाली पीढ़ियों के लिए हमेशा प्रेरणास्रोत रहेगा।