नर्मदा जयंती 2025: 4 फरवरी को मनाई जाएगी, जानिए इसके महत्व और पौराणिक कथा

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नर्मदा जयंती हर साल माघ माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाई जाती है। इस वर्ष, नर्मदा जयंती 4 फरवरी 2025 को है। यह दिन विशेष रूप से माता नर्मदा के अवतरण से जुड़ा हुआ है, जिन्हें पौराणिक मान्यताओं के अनुसार देवताओं और राक्षसों के बीच युद्ध के कारण उत्पन्न किया गया था। इस दिन का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि माना जाता है कि इस दिन नर्मदा नदी में स्नान करने से व्यक्ति के सभी पाप समाप्त हो जाते हैं और जीवन में सुख-शांति का आगमन होता है।

नर्मदा जयंती क्यों मनाई जाती है?

नर्मदा जयंती का त्यौहार नर्मदा नदी के उत्पन्न होने के दिन के रूप में मनाया जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, माघ माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को माता नर्मदा का अवतरण हुआ था। देवी नर्मदा को पवित्रता और मुक्ति की देवी माना जाता है।

पौराणिक कथा: देवी नर्मदा का अवतरण

पौराणिक कथा के अनुसार, देवताओं और राक्षसों के बीच कई युद्ध हुए थे, जिसके परिणामस्वरूप देवता पाप के भागीदार बन गए थे। यह पापी स्थिति देवताओं के लिए एक बड़ा संकट बन गई थी। पापों से छुटकारा पाने के लिए देवता भगवान शिव के पास पहुंचे और उनसे मार्गदर्शन मांगा। भगवान शिव ने देवताओं की परेशानियों का समाधान करते हुए देवी नर्मदा को उत्पन्न किया।

माँ नर्मदा का अवतरण देवताओं के पापों को धोने और उन्हें मुक्ति दिलाने के लिए हुआ था। नर्मदा नदी का जल अमृत के समान माना जाता है, और इसे स्नान करने से सभी पापों का नाश होने का विश्वास है।

नर्मदा जयंती के दिन विशेष पूजा और स्नान का महत्व

नर्मदा जयंती के दिन नर्मदा नदी में स्नान करने का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन नर्मदा नदी में स्नान करने से व्यक्ति के सारे पाप समाप्त हो जाते हैं, और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का वास होता है।

इस दिन लोग नर्मदा नदी के किनारे पूजा अर्चना करते हैं, विशेष रूप से उन स्थानों पर जहाँ नदी का प्रभाव अधिक है। इस दिन विशेष रूप से पूजा और स्नान के साथ-साथ कथा वाचन भी किया जाता है, ताकि माँ नर्मदा की कृपा प्राप्त हो सके।

नर्मदा जयंती के दिन के विशेष मुहूर्त

इस दिन के महत्व को देखते हुए कई खास मुहूर्त होते हैं, जो पूजा-अर्चना और स्नान के लिए शुभ माने जाते हैं।

• सूर्योदय: सुबह 07:08 बजे

• सूर्यास्त: शाम 06:03 बजे

• चंद्रोदय: सुबह 10:42 बजे

• चंद्रास्त: रात 12:23 बजे

• ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 05:23 से 06:15 बजे तक

• विजय मुहूर्त: दोपहर 02:24 से 03:08 बजे तक

• गोधूलि मुहूर्त: शाम 06:00 से 06:27 बजे तक

• निशिता मुहूर्त: रात 12:09 से 01:01 बजे तक

इन मुहूर्तों के दौरान पूजा और स्नान करने से विशेष लाभ होता है।

नर्मदा नदी का पवित्र महत्व

नर्मदा नदी भारत की सबसे पवित्र नदियों में से एक मानी जाती है। इसे ‘अद्भुत नर्मदा’ कहा जाता है, क्योंकि यह न केवल एक नदी है, बल्कि इसके जल में दिव्यता और पुण्य का वास माना जाता है। नर्मदा नदी का मार्ग मध्य प्रदेश और गुजरात से होकर गुजरता है, और इस नदी के किनारे कई धार्मिक स्थल हैं। इन स्थलों पर विशेष रूप से नर्मदा जयंती के दिन लाखों लोग स्नान और पूजा करने के लिए पहुंचते हैं।

नर्मदा जयंती और जीवन में आशीर्वाद

नर्मदा जयंती का महत्व केवल धार्मिक कृत्यों तक सीमित नहीं है। यह दिन हमें पापों से मुक्ति पाने, अपने जीवन को सशक्त बनाने और आत्मशुद्धि का संदेश भी देता है। इस दिन के द्वारा हम अपने जीवन में शांति और संतुलन की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं।

माना जाता है कि नर्मदा जयंती के दिन नर्मदा नदी में स्नान करने से शारीरिक और मानसिक शुद्धि होती है, जिससे व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं। इस दिन किए गए पुण्य कार्यों का फल जीवनभर मिलता है।

नर्मदा जयंती न केवल धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह हमारे जीवन में शांति और समृद्धि लाने का एक अवसर भी है। इस दिन नर्मदा नदी के पवित्र जल में स्नान करने से सभी प्रकार के पाप समाप्त होते हैं और जीवन में सुख-शांति का वास होता है। इस दिन का पालन और पूजा करके हम अपनी आत्मा को शुद्ध कर सकते हैं और देवी नर्मदा की कृपा प्राप्त कर सकते हैं।

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