तेलंगाना राज्य के श्रीसाइलम लेफ्ट बैंक कैनाल (SLBC) सुरंग में हुए भूस्खलन के कारण 22 फरवरी, 2025 को आठ श्रमिकों के फंसने के बाद से यह घटना सुर्खियों में है। यह हादसा तब हुआ जब सुरंग का एक हिस्सा गिर गया और इसके परिणामस्वरूप श्रमिकों के फंसने की घटना घटी। इस घटना ने राज्य में राजनीति का एक नया मोड़ लिया है और राजनीतिक दलों के बीच दोषारोपण का सिलसिला शुरू हो गया है।
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तेलंगाना – बचाव कार्य में सेना और एनडीआरएफ की भूमिका
तेलंगाना सुरंग में फंसे श्रमिकों की सलामती सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार ने सेना, नौसेना, और राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF) को बचाव कार्य में लगाया है। यह बचाव कार्य चुनौतीपूर्ण बना हुआ है, क्योंकि सुरंग में पानी घुस चुका है और मलबा भी जाम हो गया है। इस प्रक्रिया को और जटिल बनाने के लिए, सुरंग के भीतर की स्थितियां लगातार बदल रही हैं, जिससे बचाव दल को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। मुख्यमंत्री रेवंथ रेड्डी ने कहा है कि श्रमिकों के स्थान का पता लगाने में कुछ और दिन लग सकते हैं।
तेलंगाना सरकार के मुताबिक, इस दुर्घटना के बाद बचाव कार्य को प्राथमिकता दी गई है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि समय के साथ पानी का स्तर बढ़ने के कारण बचाव कार्य में देरी हो सकती है। इन परिस्थितियों में, राज्य सरकार ने हर संभव कदम उठाने का दावा किया है, लेकिन काम की गति के कारण असंतोष बढ़ रहा है।
कांग्रेस और बीआरएस के बीच दोषारोपण
इस भूस्खलन के बाद से कांग्रेस और बीआरएस (भारत राष्ट्र समिति) के नेताओं के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है। बीआरएस के कार्यकारी अध्यक्ष के.टी. रामा राव ने मुख्यमंत्री रेवंथ रेड्डी पर यह आरोप लगाया है कि वह इस घटना पर गंभीर नहीं हैं और उन्होंने दुर्घटना स्थल का दौरा तक नहीं किया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को श्रमिकों की हालत के बारे में और अधिक चिंतित होना चाहिए था। उनके मुताबिक, मुख्यमंत्री ने इस घटना पर असंवेदनशीलता दिखाई है, जिससे श्रमिकों के परिवारों में और भी अधिक भय और तनाव पैदा हुआ है।
वहीं, कांग्रस नेता और राज्य के इरिगेशन मंत्री एन. उत्तम कुमार रेड्डी ने रामा राव के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि बचाव कार्य विशेषज्ञों और सेना की मदद से हो रहा है। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या के.टी. रामा राव इन विशेषज्ञों का अपमान करना चाहते हैं, जो अपनी जान जोखिम में डालकर काम कर रहे हैं। मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार हर संभव प्रयास कर रही है और किसी भी प्रकार की निंदा सही नहीं है।
बीजेपी ने भी उठाए सवाल
बीजेपी ने भी इस घटना पर सवाल उठाए हैं और आरोप लगाया है कि सुरंग के निर्माण के दौरान सुरक्षा मानकों की अनदेखी की गई थी। पार्टी ने राज्य सरकार से इस घटना की न्यायिक जांच की मांग की है। बीजेपी नेताओं ने कहा कि इस दुर्घटना के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों को सजा मिलनी चाहिए और इस हादसे से जुड़े सभी पहलुओं की गहन जांच होनी चाहिए। बीजेपी का कहना है कि अगर सुरक्षा मानकों का पालन किया जाता तो इस प्रकार की दुर्घटना से बचा जा सकता था।
राजनीतिक विवाद और सरकारी जवाबदेही
राज्य में इस घटना को लेकर जबरदस्त असंतोष व्याप्त है, और विपक्षी दलों ने इस बात पर जोर दिया है कि इस प्रकार की दुर्घटनाओं से बचने के लिए बड़े पैमाने पर सुरक्षा सुधार की आवश्यकता है। सुरंग निर्माण के समय सुरक्षा मानकों के उल्लंघन के आरोप गंभीर हैं, और इससे जुड़े राजनीतिक विवाद भी उभर रहे हैं। जबकि विपक्ष सरकार पर आरोप लगा रहा है, राज्य सरकार का कहना है कि यह एक अप्रत्याशित घटना थी और इस पर त्वरित कार्रवाई की गई है।
राज्य सरकार के अधिकारियों का कहना है कि इस समय प्राथमिक उद्देश्य श्रमिकों की जान बचाना है और बचाव कार्य को प्राथमिकता दी जा रही है। हालांकि, विपक्षी दलों ने जांच की मांग की है ताकि इस प्रकार के हादसों से बचने के लिए भविष्य में उचित कदम उठाए जा सकें।
SLBC सुरंग दुर्घटना ने तेलंगाना में सुरक्षा और प्रबंधन के सवालों को उठाया है। फिलहाल, राजनीतिक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला जारी है, लेकिन प्राथमिक उद्देश्य अभी भी उन श्रमिकों की जान बचाना है, जो सुरंग के अंदर फंसे हुए हैं। इस हादसे के बाद से यह स्पष्ट हो गया है कि बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में सुरक्षा मानकों की अनदेखी को लेकर गंभीर सुधार की आवश्यकता है। सुरंग के अंदर फंसे श्रमिकों के परिवारों का दुख और असमंजस एक गहरी चिंता का विषय बन चुका है। अब देखना यह होगा कि इस मामले में किस प्रकार की जांच होती है और भविष्य में इस तरह की घटनाओं से बचने के लिए क्या कदम उठाए जाते हैं
–कार्तिक