डोनाल्ड ट्रंप आज अमेरिकी इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ते हुए 47वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेंगे। फ्लोरिडा से विशेष विमान स्पेशल एयर मिशन-47 के जरिए वॉशिंगटन पहुंचे ट्रंप का यह शपथ ग्रहण कई कारणों से ऐतिहासिक बन गया है। इस फ्लाइट का नामकरण उनके राष्ट्रपति बनने का संकेत था। ट्रंप के शपथ ग्रहण को लेकर उनके विरोधियों में नाराजगी है, तो समर्थकों में संसद के अंदर होने वाले आयोजन के कारण निराशा है। इसके बावजूद दुनिया भर की निगाहें इस ऐतिहासिक पल पर टिकी हैं।
इनडोर शपथ ग्रहण और नई परंपराएं
कड़ाके की ठंड और बर्फबारी की वजह से ट्रंप का शपथ ग्रहण समारोह अमेरिकी संसद के भीतर कैपिटल रोटुंडा हॉल में आयोजित किया गया। इस ऐतिहासिक फैसले से अमेरिकी राष्ट्रपति पद के शपथ ग्रहण समारोह की कई परंपराओं को तोड़ा गया है। पिछली बार ट्रंप ने खुले आसमान के नीचे शपथ ली थी। रोनाल्ड रीगन के बाद 40 वर्षों में यह पहली बार है कि अमेरिकी राष्ट्रपति ने इंडोर शपथ ली है।
ट्रंप ने खुद कहा कि अमेरिका में नॉर्थ पोल जैसा बर्फीला तूफान चल रहा है और वह नहीं चाहते कि लोग किसी भी तरह से खतरे में पड़ें। इसी कारण उन्होंने उद्घाटन भाषण को भी रोटुंडा के भीतर देने का आदेश दिया।
दुनिया भर के मेहमानों की मौजूदगी
ट्रंप के शपथ ग्रहण में कई देशों के नेता और वैश्विक उद्योगपति शामिल हो रहे हैं। हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ओरबान, अर्जेंटीना के राष्ट्रपति जेवियर माइली और इटली की प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी के आने की पुष्टि हो चुकी है। हालांकि, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों ने समारोह में शामिल होने से इंकार कर दिया है।
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के स्थान पर उनके उप राष्ट्रपति हान झेंग उपस्थित रहेंगे। भारत की ओर से विदेश मंत्री एस. जयशंकर इस समारोह में शामिल होंगे। इसके अतिरिक्त रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी, एलन मस्क, जेफ बेजोस और मार्क जकरबर्ग भी उपस्थित रहेंगे। इस प्रकार ट्रंप का दूसरा शपथ ग्रहण एक वैश्विक आकर्षण का केंद्र बन चुका है।
चार साल बाद वापसी और इतिहास की बराबरी
व्हाइट हाउस से चार साल बाहर रहने के बाद वापसी कर ट्रंप ने असंभव को संभव कर दिखाया। ऐसा 131 साल पहले ग्रोवर क्लीवलैंड ने किया था, जो चार साल के अंतराल के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति बने थे। ट्रंप ने क्लीवलैंड के रिकॉर्ड की बराबरी करते हुए इतिहास में अपना नाम दर्ज करा लिया है।
शपथ ग्रहण का समय और न्यायाधीश
शपथ ग्रहण भारतीय समयानुसार रात 10:30 बजे होगा। अमेरिका के मुख्य न्यायाधीश जॉन रॉबर्ट्स ट्रंप को शपथ दिलाएंगे। ट्रंप समर्थक इस आयोजन के लिए वॉशिंगटन पहुंचे हैं और आतिशबाजी व अन्य कार्यक्रमों से इस ऐतिहासिक पल को खास बना रहे हैं।
नए रिकॉर्ड और इतिहास
डोनाल्ड ट्रंप का यह शपथ ग्रहण ऐतिहासिक होने के साथ ही कई नई परंपराओं को जन्म दे रहा है। इनडोर शपथ ग्रहण और अंतरराष्ट्रीय मेहमानों की भागीदारी ने इसे विशेष बना दिया है। ट्रंप का यह कदम न केवल उनकी नेतृत्व क्षमता को दिखाता है, बल्कि यह भी प्रमाणित करता है कि वे विरोधियों और चुनौतियों के बावजूद इतिहास रचने में सक्षम हैं।
– कार्तिक