अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अपनी प्रशासन की ओर से अप्रवास नीति पर सख्त कदम उठाए हैं, जिसमें सैन्य विमानों का उपयोग, सीमा पर सैनिकों की तैनाती और आप्रवासियों को दूसरे देशों में निर्वासित करने के प्रयास शामिल हैं। ट्रम्प का यह सख्त रुख 11 मिलियन से अधिक अवैध अप्रवासियों की अमेरिकी सीमा में मौजूदगी को लेकर है, जिन्हें वह देश से बाहर निकालने की कोशिश कर रहे हैं।
सैन्य विमानों का उपयोग: भारतीय नागरिकों की वापसी
हाल ही में, एक अमेरिकी सैन्य विमान ने 205 भारतीय नागरिकों को वापस भारत भेजने के लिए टेक्सास के सैन एंटोनियो से उड़ान भरी। यह कदम अमेरिकी सरकार के उस सख्त प्रवासन नीति का हिस्सा है, जिसे ट्रम्प ने अपनाया है। भारतीय नागरिकों की यह वापसी, जो अवैध रूप से अमेरिका में निवास कर रहे थे, भारतीय सरकार द्वारा सत्यापित की गई थी। इस विमान की उड़ान 3 बजे भारतीय समयानुसार शुरू हुई थी।
इससे पहले, अमेरिकी सेना ने ग्वाटेमाला, पेरू और होंडुरास जैसे लैटिन अमेरिकी देशों में भी अवैध अप्रवासियों को वापस भेजने के लिए सैन्य विमानों का इस्तेमाल किया था। यह कदम ट्रम्प प्रशासन की ओर से अवैध अप्रवासियों के खिलाफ की गई कार्रवाइयों का हिस्सा है।
महंगा साबित हो रहा है सैन्य विमानों का उपयोग
रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, ग्वाटेमाला जाने वाले एक सैन्य विमान की लागत प्रति अप्रवासी कम से कम $4,675 रही, जो कि अमेरिकी एयरलाइंस की एक प्रथम श्रेणी की टिकट की कीमत से पांच गुना अधिक है। अमेरिकी आव्रजन और कस्टम्स एन्फोर्समेंट (ICE) द्वारा किए जाने वाले वाणिज्यिक उड़ानों से भी यह लागत अधिक है। इससे यह स्पष्ट होता है कि सैन्य विमानों का उपयोग करने से अमेरिकी सरकार पर वित्तीय दबाव बढ़ सकता है, जबकि अवैध अप्रवासियों को वापस भेजने का खर्च अधिक हो रहा है।
ट्रम्प का व्यापारिक दबाव: कनाडा, मैक्सिको और चीन पर शुल्क
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने सिर्फ अप्रवासन नीति के मामलों में ही कड़े कदम नहीं उठाए हैं, बल्कि उन्होंने कनाडा, मैक्सिको और चीन जैसे देशों पर शुल्क लगाने का भी ऐलान किया। इससे पहले, ट्रम्प ने कनाडा और मैक्सिको से आयातित सामान पर 25 प्रतिशत तक शुल्क बढ़ाने की धमकी दी थी, जो अप्रवासन और नशीली दवाओं के प्रवेश को रोकने के लिए दोनों देशों द्वारा किए गए कदमों के जवाब में था। हालांकि, कनाडा ने एक महीने की छूट हासिल कर ली, जब उसने अपने उत्तरी सीमा पर अवैध अप्रवासियों और नशीली दवाओं के प्रवाह को रोकने के लिए 1.3 बिलियन डॉलर की प्रतिबद्धता जताई।
मैक्सिको ने भी एक अस्थायी छूट प्राप्त की जब उसने अपनी सीमा पर 10,000 सैनिकों को तैनात करने का वादा किया। इन देशों के साथ ट्रम्प का व्यापारिक दबाव यह दर्शाता है कि वह अमेरिका के भीतर सुरक्षा और अप्रवासन नियंत्रण को सबसे ऊपर रखते हुए अंतर्राष्ट्रीय व्यापारिक संबंधों को प्रभावित करने के लिए तैयार हैं।
अंतरराष्ट्रीय दबाव और सुरक्षा चिंताएँ
ट्रम्प के तहत अमेरिकी नीति की ये कार्रवाइयाँ न केवल घरेलू राजनीति में चर्चा का विषय रही हैं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इसके प्रभाव को महसूस किया जा रहा है। जहां एक ओर अमेरिकी सरकार अवैध अप्रवासियों को बाहर निकालने के लिए कठोर कदम उठा रही है, वहीं दूसरी ओर अमेरिकी राष्ट्रपति ने व्यापारिक शर्तों के साथ अपने पड़ोसी देशों पर दबाव डालकर भी नीतियों को कड़ा किया है।
इसी तरह के कड़े कदम ट्रम्प के चुनावी अभियान के समय से ही नजर आ रहे थे, जब उन्होंने यह दावा किया था कि उनके पुनः निर्वाचित होने के बाद अमेरिका “इतिहास की सबसे बड़ी निर्वासन अभियान” शुरू करेगा। इस नीति के तहत, सैन्य विमानों के माध्यम से अवैध अप्रवासियों को निर्वासित किया जा रहा है, जो कि एक नई और विवादास्पद पहल है।
ट्रम्प प्रशासन की इन कठोर आव्रजन नीतियों से साफ है कि वह देश के भीतर अवैध अप्रवासियों को सख्त तरीके से नियंत्रित करने के लिए तैयार हैं। सैन्य विमानों के उपयोग, सीमा पर सैनिकों की तैनाती और व्यापारिक दबाव जैसे कदम यह दर्शाते हैं कि ट्रम्प ने अपनी आंतरिक और बाह्य नीतियों के माध्यम से अपने दृष्टिकोण को लागू करने की कोशिश की है। हालांकि, इन नीतियों का अंतर्राष्ट्रीय और घरेलू दोनों ही स्तर पर विरोध हो सकता है, फिर भी ट्रम्प का यह कड़ा रुख भविष्य में और भी सख्त होने की संभावना को दर्शाता है।