नई दिल्ली: भारत में गणतंत्र दिवस समारोह की तैयारियां शुरू हो गई हैं, और इस साल के मुख्य अतिथि के रूप में इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो का नाम सामने आया है। यह तीसरी बार होगा जब भारत ने इंडोनेशिया के राष्ट्रपति को गणतंत्र दिवस परेड में मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया है। हालांकि, अभी तक इस संबंध में कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है। आम तौर पर मुख्य अतिथि का ऐलान पहले ही कर दिया जाता है, लेकिन इस बार इसके बारे में कुछ दुविधा उत्पन्न हो रही है, जिसका कनेक्शन पाकिस्तान से जुड़ा है।
भारत दौरे के साथ पाकिस्तान की यात्रा का मुद्दा
सूत्रों के मुताबिक, इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो अपनी भारत यात्रा के दौरान पाकिस्तान भी जा सकते हैं। हालांकि, भारत यह नहीं चाहेगा कि राष्ट्रपति की पाकिस्तान यात्रा को भारत दौरे के साथ जोड़ा जाए। भारत ने कूटनीतिक तौर पर इस मुद्दे को इंडोनेशिया के सामने उठाया है, ताकि गणतंत्र दिवस समारोह के बाद सुबियांतो को सीधे पाकिस्तान जाने से रोका जा सके। भारत और पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण रिश्तों को देखते हुए भारत ने इस तरह की स्थिति से बचने के लिए कदम उठाए हैं।
इंडोनेशिया और भारत के बीच रिश्ते
इंडोनेशिया, जो कि दुनिया का सबसे बड़ा मुस्लिम देश है, आसियान (ASEAN) क्षेत्र में भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बनकर उभरा है। 2016 में तत्कालीन इंडोनेशियाई राष्ट्रपति जोको विडोडो की राजकीय यात्रा के दौरान दोनों देशों ने सुरक्षा वार्ता स्थापित करने पर सहमति जताई थी। इस दौरान द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए थे।
इसी बीच, पाकिस्तान और इंडोनेशिया के बीच भी अच्छे रिश्ते रहे हैं। दिसंबर में, इंडोनेशियाई राष्ट्रपति सुबियांतो ने मिस्र में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से मुलाकात की थी और दोनों देशों के बीच आर्थिक सहयोग बढ़ाने का संकल्प लिया था।
भारत के कूटनीतिक कदम
भारत ने हमेशा यह सुनिश्चित करने की कोशिश की है कि गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि के दौरे के दौरान उनके कार्यक्रम में पाकिस्तान को शामिल न किया जाए, ताकि दोनों देशों के साथ संबंधों को अलग-अलग रखा जा सके। इस पर कूटनीतिक रूप से ध्यान दिया गया है, ताकि गणतंत्र दिवस समारोह का महत्व और इसकी गरिमा बनाए रखी जा सके।
हालांकि आधिकारिक रूप से राष्ट्रपति सुबियांतो के दौरे की पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन भारत के कूटनीतिक प्रयास यह संकेत देते हैं कि वे इस आयोजन को भारत-पाकिस्तान रिश्तों से अलग रखना चाहते हैं।
– कार्तिक