कुम्भ मेले में भगदड़ पर मल्लिकार्जुन खड़गे के बयान से विवाद

Must read

कुम्भ मेला – कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में विपक्ष के नेता, मल्लिकार्जुन खड़गे ने सोमवार को महाकुंभ मेला में हुई भगदड़ में “हजारों लोगों” की मौत का दावा किया, जिससे संसद में भारी बवाल मच गया। खड़गे के इस बयान ने न केवल विपक्षी और सरकारी नेताओं के बीच विवाद पैदा किया, बल्कि राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ और अन्य केंद्रीय मंत्रियों से भी कड़ी प्रतिक्रियाएँ प्राप्त कीं।

धनखड़ ने खड़गे के बयान को ‘अविचारपूर्ण’ और ‘अस्वीकार्य’ बताया

राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने खड़गे के बयान को “अविचारपूर्ण, अवमाननाजनक और अस्वीकार्य” बताया। उन्होंने खड़गे से पूछा, “क्या आप इस बयान को साबित कर सकते हैं? आप ऐसा बयान नहीं दे सकते जो देश में अराजकता पैदा करे और लोगों की भावनाओं को आहत करे। यह सदन जानकारी के मुक्त प्रवाह के लिए नहीं है।धनखड़ ने खड़गे से यह भी अपील की, “मैं विपक्ष के नेता से यह मांग करता हूं कि वह यह साबित करें कि उस घटना में हजारों लोग मारे गए थे।”

धनखड़ ने इस पर और भी कड़ा रुख अपनाते हुए कहा, “हमारे देश में हर किसी का यह विश्वास है कि कुम्भ मेला एक अत्यधिक सम्मानित धार्मिक आयोजन है। ऐसे में कोई वरिष्ठ नेता, जो इस सदन में बैठता है, इस तरह की अव्यावहारिक टिप्पणी करता है, तो यह पूरी तरह से निंदनीय है।” उन्होंने खड़गे से अपील की कि वह अपनी टिप्पणी पर विचार करें और इसे सही तथ्यों के साथ प्रस्तुत करें।

केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने भी उठाए सवाल

केंद्रीय संसदीय मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने भी खड़गे के बयान पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा, “क्या विपक्ष के नेता इस बयान को सदन में रिकॉर्ड पर रख सकते हैं और यह बता सकते हैं कि उन्होंने यह दावा किस आधार पर किया? लाखों किसानों की मौत का भी उन्होंने दावा किया था, ठीक वैसे ही जैसे उन्होंने कुम्भ मेला में हजारों लोगों की मौत का दावा किया। हम विपक्ष के नेता से उम्मीद करते हैं कि वह इस बयान का समर्थन करने के लिए तथ्यों के आधार पर सबूत पेश करें।”

रिजिजू ने यह भी कहा कि खड़गे का बयान केवल राजनीति करने के लिए दिया गया और इसका उद्देश्य जनता को गुमराह करना था। उन्होंने यह सवाल उठाया कि क्या विपक्षी नेता सदन के भीतर अपनी बेतुकी बयानबाजी के साथ लोगों को भ्रमित करने की कोशिश कर रहे हैं।

खड़गे के बयान का राजनीतिक रूप से कड़ा विरोध

खड़गे ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर बहस में भाग लेते हुए महाकुंभ में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित की और कहा, “महाकुंभ में हजारों लोग मारे गए।” जब सरकारी पक्ष ने इस पर आपत्ति जताई, तो खड़गे ने कहा, “अगर यह गलत है, तो आप बताइए… यह मेरी अटकलें हैं।”

भाजपा के नेता पीयूष गोयल ने खड़गे के बयान का विरोध करते हुए कहा, “जब जवाहरलाल नेहरू प्रधानमंत्री थे, तब 1954 में माघ मेला के दौरान भगदड़ में 800 लोग मारे गए थे। 1986 में राजीव गांधी के शासनकाल में भी कुम्भ मेला के दौरान 200 लोग मारे गए थे। तब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह अन्य मुख्यमंत्री के साथ कुम्भ गए थे और वीआईपी मूवमेंट के कारण 200 लोगों की मौत हुई थी।”

गोयल ने यह भी कहा कि 2013 में प्रयागराज में 42 लोग मारे गए थे, जब आठ करोड़ लोग वहां आए थे। उन्होंने खड़गे से पूछा, “क्या आप इसे भी गलत मानते हैं?”

धनखड़ ने खड़गे के बयान पर गहरी चिंता जताई

जगदीप धनखड़ ने खड़गे के बयान पर चिंता जताते हुए कहा कि एक सीनियर नेता के तौर पर खड़गे का यह बयान देश की सभ्यता और विश्वासों का अपमान है। उन्होंने कहा, “यह घटना एक ऐतिहासिक अवसर पर हुई थी जब महाकुंभ 144 साल के अंतराल के बाद हो रहा था। ऐसे में हजारों लोगों के मारे जाने की बात कहना पूरी तरह से गलत है।”

धनखड़ ने यह भी कहा कि यह बयान देशवासियों की भावनाओं के खिलाफ है, खासकर उन लोगों के लिए जिन्होंने महाकुंभ में श्रद्धा और आस्था के साथ हिस्सा लिया।

मल्लिकार्जुन खड़गे के बयान ने संसद में एक बड़ी राजनीतिक बहस को जन्म दिया है। जहाँ एक ओर विपक्षी नेताओं ने उनके बयान का समर्थन किया, वहीं दूसरी ओर सरकारी नेताओं और मंत्रियों ने इसे तथ्यहीन और अस्वीकार्य बताया। अब यह देखना होगा कि खड़गे इस विवादित बयान को लेकर अपनी स्थिति स्पष्ट करते हैं या नहीं। इस पूरे घटनाक्रम से यह भी स्पष्ट होता है कि भारतीय राजनीति में कुम्भ मेला जैसे धार्मिक आयोजनों को लेकर बयानबाजी और विवादों का दौर जारी रहेगा, जो कभी भी राजनीतिक संघर्ष का रूप ले सकता है।

- Advertisement -spot_img

More articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisement -spot_img

Latest article