कांग्रेस ने शनिवार को आरोप लगाया कि पहलगाम आतंकी हमले के बाद मोदी सरकार पाकिस्तान को वैश्विक मंच पर अलग-थलग करने में विफल रही है। पार्टी ने इसे भारतीय सैनिकों और नागरिकों के साथ “आपराधिक विश्वासघात” करार दिया।
कांग्रेस के मुख्य आरोप:
- पार्टी प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा कि पाकिस्तान के खिलाफ सख्त कार्रवाई के बजाय, चीन ने उसे पांचवीं पीढ़ी के जेट और मिसाइलें दीं, जबकि वर्ल्ड बैंक और एशियन डेवलपमेंट बैंक (ADB) ने पाकिस्तान को और अधिक आर्थिक सहायता दी।
- खेड़ा के अनुसार, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने भी आतंकी हमले के कुछ ही दिनों बाद पाकिस्तान को एंटी-टेररिज्म कमিটি का वाइस चेयर नियुक्त किया।
- उन्होंने कहा, “हमने उम्मीद की थी कि पहलगाम में बर्बर आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे और उसे वैश्विक स्तर पर अलग-थलग किया जाएगा, लेकिन हुआ उल्टा। चीन पाकिस्तान को 40 फिफ्थ जनरेशन स्टेल्थ जे-35ए फाइटर जेट्स और PL-17 मिसाइलें दे रहा है। अजरबैजान 2 अरब डॉलर में 40 पाकिस्तानी जेएफ-17 फाइटर जेट्स खरीद रहा है।”
- खेड़ा ने आगे कहा, “वर्ल्ड बैंक ने पाकिस्तान के विकास के लिए 40 अरब डॉलर देने का वादा किया है, IMF ने 1 अरब डॉलर का बेलआउट पैकेज मंजूर किया है, रूस कराची में स्टील प्लांट के पुनर्निर्माण के लिए 2.6 अरब डॉलर का समझौता कर चुका है। कुवैत और यूएई ने वीजा नियमों में ढील दी है और 10 अरब डॉलर के निवेश प्रस्ताव दिए हैं। पाकिस्तान अब चाइना ইন্টারন্যাশনাল মেডিয়েশন অর্গানাইজেশনে যোগ দিয়ে এশিয়ান কূটনীতিতে আরও প্রভাবশালী হয়েছে।”
- कांग्रेस ने यह भी कहा कि पाकिस्तान को वैश्विक संस्थाओं में प्रतिनिधित्व और आर्थिक मदद मिल रही है, जबकि भारत “मूक दर्शक” बना हुआ है।
अन्य आलोचनाएँ:
- कांग्रेस ने सरकार की विदेश नीति को पूरी तरह विफल बताया और कहा कि भारत अब वैश्विक मंच पर कूटनीतिक रूप से अलग-थलग पड़ गया है।
- पार्टी ने यह भी सवाल उठाया कि पहलगाम हमले के 45 दिन बाद भी आतंकवादी पकड़े क्यों नहीं गए, जबकि 26/11 के बाद सभी आतंकियों को या तो मार गिराया गया या फांसी दी गई थी।
- कांग्रेस नेताओं ने प्रधानमंत्री मोदी की विदेश यात्राओं और वैश्विक बैठकों की भी उपयोगिता पर सवाल उठाया, यह कहते हुए कि न तो कोई ठोस उपलब्धि मिली, न ही किसी देश ने भारत के पक्ष में या पाकिस्तान के खिलाफ बयान दिया।
निष्कर्ष:
कांग्रेस का आरोप है कि मोदी सरकार की विदेश नीति और कूटनीतिक प्रयास पाकिस्तान को अलग-थलग करने में नाकाम रहे हैं, जिससे भारत की अंतरराष्ट्रीय स्थिति कमजोर हुई है और यह हमारे सैनिकों के साथ विश्वासघात है