उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में उगाया जाने वाला लाल चावल, जिसे स्थानीय भाषा में “लाल भात” और “हिमालयन रेड राइस” कहा जाता है, न केवल स्वाद में बेहतरीन होता है बल्कि यह स्वास्थ्य के लिए भी अत्यधिक लाभकारी है। इस चावल की खासियत यह है कि यह अपने लाल रंग और अद्वितीय पोषण मूल्य के लिए प्रसिद्ध है। यह चावल मुख्य रूप से उत्तराखंड के रानीखेत, मुनस्यारी, बागेश्वर और अन्य ऊंचाई वाले क्षेत्रों में उगता है। इन क्षेत्रों की जलवायु, मिट्टी और पारंपरिक खेती की पद्धतियों ने इसे एक विशेष चावल बना दिया है, जो न केवल स्वाद में बल्कि सेहत के दृष्टिकोण से भी बेहतर है।
उत्तराखंड का लाल चावल
उत्तराखंड का लाल चावल भारतीय उपमहाद्वीप की एक अनमोल धरोहर है। इसे हिमालयन रेड राइस कहा जाता है और यह चावल उच्च हिमालयी इलाकों में उगने वाली एक विशेष किस्म है। इसका लाल रंग प्राकृतिक द्रव्य “एंथोसायनिन” के कारण होता है, जो इसे अन्य चावलों से अलग करता है। एंथोसायनिन, एक प्रकार का एंटीऑक्सीडेंट है, जो न केवल चावल को रंग प्रदान करता है बल्कि इसे स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण बनाता है। यह चावल रासायनिक तत्वों से मुक्त होता है, क्योंकि इसे पारंपरिक और ऑर्गेनिक खेती के तरीके से उगाया जाता है।
चावल में पाए जाने वाले पोषक तत्व
प्रोफेसर डॉ. ललित तिवारी, जो नैनीताल स्थित डीएसबी कॉलेज के वनस्पति विज्ञान विभाग में प्रोफेसर हैं, बताते हैं कि यह चावल पोषक तत्वों से भरपूर होता है और शरीर के लिए अत्यधिक लाभकारी है। उनके अनुसार, इस चावल में प्रोटीन की मात्रा सफेद चावल के मुकाबले कहीं अधिक होती है, साथ ही इसमें आयरन, जिंक, पोटेशियम, मैग्नीज, और फाइबर जैसे आवश्यक मिनरल्स होते हैं। इसके अलावा, इसमें फ्लेवेनॉईड एंटीऑक्सीडेंट्स भी होते हैं, जो शरीर के लिए लाभकारी होते हैं।
लाल चावल का सेवन करने से शरीर में विटामिन B1, B2, और B6 की कमी पूरी होती है, जो ऊर्जा उत्पादन और तंत्रिका तंत्र को ठीक से कार्य करने में मदद करते हैं। यह चावल शरीर के लिए एक शक्तिशाली ऊर्जा स्रोत है, जो खासतौर पर उन लोगों के लिए फायदेमंद होता है जो शारीरिक श्रम करते हैं या मानसिक रूप से सक्रिय रहते हैं।
इसके अलावा, लाल चावल का सेवन शरीर में कोलेस्ट्रॉल और वजन को नियंत्रित करने में भी मदद करता है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स शरीर के अंदर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने का काम करते हैं, जिससे शरीर में स्फूर्ति बनी रहती है। यह चावल शरीर में ऊर्जा का स्तर बढ़ाता है और पूरे दिन की थकान को कम करता है।
लाल चावल कैसे खाये
लाल चावल को भारतीय खाने में विभिन्न प्रकार से प्रयोग किया जाता है। इसे आमतौर पर दाल, सब्जी या खिचड़ी के साथ खाया जाता है। इसके स्वाद में एक हल्का मिट्टी का स्वाद होता है, जो इसे अन्य चावलों से अलग बनाता है। यह चावल पारंपरिक भारतीय व्यंजनों में इस्तेमाल होता है, खासकर उत्तराखंड के विभिन्न पर्वों और सामाजिक आयोजनों में।
इस चावल को विशेष रूप से रात्रि के भोजन में सेवन करने की सलाह दी जाती है, क्योंकि यह शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है और रात भर के लिए आवश्यक पोषण देता है। प्रोफेसर तिवारी के अनुसार, इसमें उपस्थित एंटीऑक्सीडेंट्स और फ्री रेडिकल्स शरीर में कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करते हैं और वजन कम करने में मदद करते हैं।
उत्तराखंड का लाल चावल स्थानीय किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण कृषि उत्पाद है। इसकी खेती छोटे किसानों द्वारा की जाती है, जो पारंपरिक तरीके से इसका उत्पादन करते हैं। यह चावल न केवल किसानों के लिए आय का एक स्रोत है बल्कि राज्य की आर्थिक स्थिति को भी मजबूती प्रदान करता है। स्थानीय बाजारों के साथ-साथ, अब इस चावल की मांग अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी बढ़ रही है, विशेषकर स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहने वाले उपभोक्ताओं के बीच। इसके बढ़ते महत्व के कारण, यह चावल अब देश-विदेश में एक ब्रांड के रूप में अपनी पहचान बना रहा है।
उत्तराखंड का लाल चावल न केवल स्वाद में लाजवाब है बल्कि इसके पोषण संबंधी लाभ इसे स्वास्थ्य के लिए एक बेहतरीन विकल्प बनाते हैं। यह चावल भारतीय खाद्य संस्कृति का अहम हिस्सा है और इसके बढ़ते महत्व से यह भविष्य में और भी लोकप्रिय हो सकता है। इसके स्वास्थ्य लाभ, प्राकृतिक उत्पादन और सांस्कृतिक महत्त्व के कारण, यह चावल स्थानीय किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण आय स्रोत बन चुका है और इसके साथ-साथ यह उपभोक्ताओं के लिए एक सेहतमंद विकल्प भी प्रदान करता है।
– कार्तिक
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