5 फरवरी को अमेरिकी सैन्य विमान ‘सी-17 ग्लोबमास्टर’ ने अमृतसर में लैंड किया, जिसमें 104 भारतीय नागरिक सवार थे। इनमें से 13 नाबालिग भी शामिल थे। यह डिपोर्टेशन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की आव्रजन नीति का हिस्सा है। पंजाब सरकार ने डिपोर्ट किए गए नागरिकों की सहायता के लिए कदम उठाए हैं।
सैन्य विमान से डिपोर्ट किए गए नागरिकों की स्थिति
डिपोर्ट किए गए नागरिकों में से कई ने अपनी यात्रा के दौरान कठिनाइयों का सामना किया। हरविंदर सिंह, जो पंजाब के होशियारपुर के निवासी हैं, ने बताया कि उन्हें 40 घंटों तक हथकड़ी लगाकर रखा गया और उनके पैर जंजीरों से बंधे थे। बार-बार आग्रह करने के बाद उन्हें वॉशरूम जाने की अनुमति मिली। उन्होंने यह भी बताया कि क्रू के सदस्य शौचालय का दरवाजा खोलकर उन्हें अंदर धकेल देते थे, और पूरी यात्रा के दौरान उन्हें अपनी सीट से एक इंच भी हिलने नहीं दिया गया।
पंजाब सरकार की प्रतिक्रिया
पंजाब सरकार ने डिपोर्ट किए गए नागरिकों की सहायता के लिए कदम उठाए हैं। पंजाब के NRI मामलों के मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल ने कहा कि वे 10 फरवरी को होने वाली कैबिनेट बैठक में मुख्यमंत्री भगवंत मान के सामने इस मुद्दे को उठाएंगे। वे बैंकों से उन लोगों के ब्याज को माफ करने के लिए कहेंगे जिन्होंने अमेरिका जाने के लिए कर्ज लिया था।
अवैध प्रवासियों की वापसी पर अमेरिकी नीति
अमेरिकी प्रशासन ने अवैध प्रवासियों की वापसी पर कड़ा रुख अपनाया है। यह पहली बार है जब अमेरिका ने भारत के लिए सैन्य विमान का उपयोग किया है। इससे पहले, अवैध भारतीय प्रवासियों को डिपोर्ट करने के लिए वाणिज्यिक उड़ानों का उपयोग किया जाता था। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने भारत के साथ मिलकर अवैध प्रवासियों की वापसी पर काम करने की इच्छा जताई है।
अमेरिकी सैन्य विमान से 104 भारतीय नागरिकों की भारत वापसी और उनकी यात्रा के दौरान की गई कठिनाइयाँ, दोनों देशों के बीच अवैध प्रवासियों की वापसी पर चल रही चर्चाओं और नीतियों को उजागर करती हैं। पंजाब सरकार की ओर से उठाए गए कदम और अमेरिकी प्रशासन की कड़ी नीतियाँ इस मुद्दे पर दोनों देशों के दृष्टिकोण को दर्शाती हैं।